सीट बंटवारे के बाद बिहार NDA में मचा घमासान, क्या एक बार फिर “पलटी” मारेंगे नीतीश?
Bihar Election 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले एनडीए में लंबे समय से चली आ रही खींचतान के बीच आखिरकार सीट शेयरिंग का फॉर्मूला तय हो गया है। इस बार भाजपा और जेडीयू बराबर-बराबर 101-101 सीटों पर चुनाव लड़ेंगी। यह पहली बार है जब जेडीयू को भाजपा के बराबर सीटें मिली हैं- जबकि पहले हमेशा उसे “बड़े भाई” की भूमिका में देखा जाता था।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज है कि इस फैसले से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की स्थिति कमजोर पड़ी है। वहीं भाजपा नेतृत्व भी पूरी सतर्कता के साथ आगे बढ़ रहा है क्योंकि उन्हें नीतीश की “पलटीमार राजनीति” का पुराना अनुभव है।
नीतीश की ‘पलटी’ हिस्ट्री से अब भी चिंतित भाजपा
2013 में भाजपा से अलग होकर नीतीश कुमार ने 2015 में राजद के साथ सरकार बनाई। 2017 में फिर NDA में वापसी की, 2022 में महागठबंधन में चले गए और 2024 में दोबारा NDA में लौट आए। हर बार यह दावा किया गया कि “अब कोई पलटी नहीं”, लेकिन बिहार की राजनीति में “कुछ भी संभव” का मतलब सबसे पहले नीतीश से ही लिया जाता है।
सूत्रों का कहना है कि भाजपा को यह डर सता रहा है कि यदि सीएम पद की गारंटी नहीं मिली, तो नीतीश चुनाव के पहले या बाद में फिर महागठबंधन की ओर रुख कर सकते हैं और महागठबंधन के दरवाज़े भी उनके लिए खुले हैं।
सीट बंटवारे से बढ़ी नाराजगी, सीएम हाउस में बुलाई बैठक
हालांकि सीटों का बंटवारा तय हो गया है, लेकिन नीतीश कुमार खुश नहीं हैं। बताया जा रहा है कि उन्होंने 9 सीटों पर आपत्ति दर्ज कराई है। इसी मुद्दे पर आज दोपहर सीएम हाउस में जदयू की अहम बैठक बुलाई गई है।
वहीं खबर यह भी है कि राजद सुप्रीमो लालू यादव ने अपने कई उम्मीदवारों को सिंबल देने के बाद नाम वापस ले लिए हैं, जिससे नए राजनीतिक समीकरण बनने की अटकलें शुरू हो गई हैं। तेजस्वी यादव के करीबी राज्यसभा सांसद संजय यादव की आज सुबह सीएम नीतीश से गुपचुप मुलाकात ने भी राजनीतिक हलचल बढ़ा दी है।
राजगीर से लेकर मोरवा तक सीटों पर बवाल
NDA के भीतर सबसे बड़ा विवाद राजगीर सीट को लेकर है। यह जेडीयू की सिटिंग सीट है, लेकिन इसे लोजपा (रामविलास) को दिए जाने के प्रस्ताव से नीतीश नाराज हो गए। उन्होंने साफ कहा, “राजगीर किसी भी हालत में जेडीयू के हाथ से नहीं जाएगी।”
इसी तरह मोरवा और तारापुर सीटें भी विवादों में हैं। सूत्रों के मुताबिक, उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी तारापुर से नामांकन भरेंगे और इस मौके पर नीतीश कुमार, योगी आदित्यनाथ और भाजपा के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रह सकते हैं।
जेडीयू मोरवा सीट चिराग पासवान को नहीं देना चाहती, जबकि चिराग भी पीछे हटने को तैयार नहीं। कहा जा रहा है कि यदि चिराग अलग राह पकड़ते हैं, तो मुकेश सहनी NDA में शामिल हो सकते हैं।
नीतीश का वोट बैंक और BJP की मजबूरी
बिहार की राजनीति में नीतीश कुमार का कोर वोट बैंक - कुर्मी (4%), कोइरी (6%), और EBC (27%)-NDA की रीढ़ माना जाता है। 2020 के चुनाव में जेडीयू ने 43 सीटें जीती थीं और उसका वोट शेयर करीब 15% था, जबकि NDA का कुल वोट शेयर 37% रहा।
नीतीश का यह सामाजिक समीकरण भाजपा के लिए बेहद अहम है, क्योंकि भाजपा का आधार मुख्यतः अपर-कास्ट और शहरी वर्ग तक सीमित है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यदि नीतीश कमजोर हुए या पार्टी के कामकाज से दूर हुए, तो यह वोट बैंक महागठबंधन या किसी नए गठजोड़ की ओर जा सकता है।
क्या फिर होगी ‘पलटी’?
नीतीश कुमार बिहार की राजनीति के ऐसे तुरुप के पत्ते हैं, जिन्हें हर दल अपने साथ रखना चाहता है। भाजपा जानती है कि जब तक नीतीश NDA में हैं, तब तक बिहार में समीकरण उसके पक्ष में हैं लेकिन सीट बंटवारे के बाद उठे सवालों ने एक बार फिर यह आशंका बढ़ा दी है कि क्या नीतीश एक और पलटी की तैयारी में हैं?