Bihar Vidhansabha Chunav 2025: मतदान से ठीक पहले जनसुराज को झटका, मुंगेर प्रत्याशी संजय सिंह ने थामा BJP का दामन

चुनाव से 24 घंटे पहले सियासी समीकरण में बड़ा बदलाव- संजय सिंह ने कुमार प्रणय की मौजूदगी में ली भाजपा की सदस्यता, जनसुराज के वोटबैंक पर पड़ सकता है असर।
 

Bihar political news: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण के मतदान से ठीक पहले मुंगेर की सियासत में ऐसा पलटवार हुआ जिसने पूरे चुनावी माहौल को हिला दिया। जनसुराज के प्रत्याशी संजय सिंह ने मतदान से एक दिन पहले ही पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया। राजनीतिक गलियारों में इस घटनाक्रम को “चुनावी बिजली” की तरह देखा जा रहा है- तेज, अप्रत्याशित और असरदार| 

“जनसुराज से भाजपा”- एक झटके में बदला समीकरण

आज दोपहर मुंगेर में भाजपा प्रत्याशी कुमार प्रणय की मौजूदगी में संजय सिंह ने पार्टी की सदस्यता ली और तुरंत एनडीए के समर्थन में उतरने का ऐलान कर दिया।
यह कदम किसी लंबे विचार-विमर्श का परिणाम नहीं बल्कि एक रणनीतिक चाल माना जा रहा है, जिसका सीधा असर मतदान पर पड़ सकता है। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि यह फैसला भाजपा के लिए बड़ा मनोबल बढ़ाने वाला कदम है, जबकि जनसुराज के लिए चुनावी झटका साबित हो सकता है। मुंगेर में पहले से ही त्रिकोणीय मुकाबले की स्थिति थी, लेकिन अब समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं।

वोटबैंक पर असर या नई रणनीति?

अब बड़ा सवाल यह है कि क्या संजय सिंह का यह कदम जनसुराज के वोटों में सेंध लगाएगा या फिर भाजपा के वोट प्रतिशत में नई बढ़ोतरी करेगा। स्थानीय विश्लेषक मानते हैं कि संजय सिंह का क्षेत्रीय जनसंपर्क और सामाजिक प्रभाव भाजपा को सीधा फायदा दे सकता है, खासकर तब जब मतदान महज़ कुछ घंटों की दूरी पर है।

भाजपा प्रत्याशी कुमार प्रणय की संपत्ति पर नई बहस

सिर्फ दल-बदल ही नहीं, बल्कि अब भाजपा प्रत्याशी कुमार प्रणय की संपत्ति भी चर्चा का विषय बन गई है। नामांकन के दौरान दाखिल हलफनामे में खुलासा हुआ कि वे 177 करोड़ रुपये की संपत्ति के मालिक हैं, जिससे वे बिहार चुनाव के सबसे अमीर उम्मीदवारों में शामिल हो गए हैं।

विरोधी दल इस मुद्दे को “पैसे की राजनीति” बताकर निशाना साध रहे हैं, जबकि भाजपा समर्थक इसे उनकी क्षमता, प्रभाव और व्यावसायिक सफलता का प्रमाण बता रहे हैं।

मुंगेर बना ‘राजनीतिक प्रयोगशाला’

मुंगेर की ज़मीन अब केवल त्रिकोणीय मुकाबले तक सीमित नहीं रह गई है। यहाँ अचानक बदले समीकरणों ने इसे राजनीतिक प्रयोगशाला बना दिया है- जहाँ वफ़ादारी, नाराज़गी और अवसरवाद तीनों साथ-साथ दिखाई दे रहे हैं। मतदान अब बस कुछ घंटों की दूरी पर है, और यह उलटफेर नतीजों पर सीधा असर डाल सकता है।