Bihar Vidhansabha Chunav 2025: चेरिया बरियारपुर में सियासी संग्राम गरमाया- विकास बनाम बेरोजगारी पर टिका है चुनावी रण
Bihar chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की हलचल अब चरम पर है, और बेगूसराय जिले की चेरिया बरियारपुर विधानसभा सीट इस बार फिर से राजनीतिक बहस का केंद्र बनी हुई है। यह सीट पहले चरण में मतदान के लिए जाएगी 6 नवंबर को वोटिंग और 14 नवंबर को मतगणना निर्धारित है।
बाढ़, पलायन और बेरोजगारी: जनता के दिल का मुद्दा
कोसी और गंडक नदियों के बीच बसा यह इलाका हर साल बाढ़ की तबाही झेलता है। जलभराव, फसल बर्बादी और रोजगार के अभाव ने यहां के लोगों को पलायन के लिए मजबूर कर दिया है। यही वजह है कि इस बार का चुनाव विकास, रोजगार और राहत व्यवस्था की विफलता जैसे स्थानीय मुद्दों पर केंद्रित है।
स्थानीय लोगों के बीच साफ़ चर्चा है, अबकी बार जो काम करेगा, वही हमारे वोट का हक़दार होगा।
जातीय समीकरण और वोट बैंक का गणित
चेरिया बरियारपुर की राजनीति हमेशा से जातीय संतुलन पर टिकी रही है। यादव, मुस्लिम, कुर्मी और पासवान समुदाय के मतदाता यहां निर्णायक भूमिका निभाते हैं।
करीब 40% यादव-मुस्लिम वोट बैंक के चलते RJD को पारंपरिक बढ़त मिलती रही है, जबकि बीजेपी इस बार विकास योजनाओं और मंदिरों के पुनरुद्धार को अपना मुख्य एजेंडा बना रही है। एनडीए ने गांव-गांव संपर्क अभियान चलाकर अपनी पैठ मजबूत करने की कोशिश की है, वहीं महागठबंधन ने इस बार “नए चेहरे, नई सोच” के नारे के साथ बड़ा दांव खेला है।
टिकट कटा, नया चेहरा मैदान में
महागठबंधन ने मौजूदा विधायक राजवंशी महतो का टिकट काटते हुए पूर्व मुख्यमंत्री सतीश प्रसाद सिंह के पुत्र सुशील सिंह कुशवाहा को उम्मीदवार बनाया है।
सुशील सिंह कुशवाहा ने नामांकन के दौरान कहा, बीस साल में जो काम नीतीश कुमार नहीं कर पाए, वो तेजस्वी यादव बीस महीने में करके दिखाएंगे। हमारी सरकार बनी तो हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी देने का कानून बनेगा।
उनका चुनावी एजेंडा रोजगार, अपराध नियंत्रण और शिक्षा-स्वास्थ्य सुधार पर टिका है। वे बाढ़ नियंत्रण और महिला सुरक्षा को भी मुख्य मुद्दा बना रहे हैं।
चेरिया बरियारपुर की सियासी कहानी
इस सीट का इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा रहा है।
• 1977–85: कांग्रेस का दबदबा
• 1990–95: जनता दल का प्रभाव
• 2005: लोजपा का उभार
• 2010–15: जेडीयू का पलड़ा भारी
• 2000 और 2020: राजद की शानदार वापसी
2020 के चुनाव में RJD उम्मीदवार राजवंशी महतो ने जेडीयू की मंजू वर्मा को 40,000 से अधिक वोटों से शिकस्त दी थी।
इस बार मुकाबला और तीखा
2025 में चेरिया बरियारपुर का मुकाबला अब सिर्फ़ RJD बनाम NDA नहीं, बल्कि “विकास बनाम अव्यवस्था” की कहानी भी कह रहा है। जहां एक ओर महागठबंधन रोज़गार और शिक्षा को मुख्य हथियार बना रहा है, वहीं बीजेपी अपने विकास मॉडल और जनकल्याण योजनाओं को लेकर जनता के बीच उतर चुकी है।
मतदान की तारीख नज़दीक है, और यह साफ़ दिख रहा है इस बार चेरिया बरियारपुर में मुकाबला सिर्फ़ उम्मीदवारों का नहीं, बल्कि जनता के विश्वास और उम्मीदों का है।