Bihar Election 2025: बेलहर में भाजपा को बड़ा झटका, पूर्व प्रखंड अध्यक्ष समेत दर्जनों कार्यकर्ता राजद में शामिल

 

Banka: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले बांका जिले के बेलहर विधानसभा क्षेत्र की राजनीति में बड़ा उलटफेर देखने को मिला है। चांदन प्रखंड स्थित राष्ट्रीय जनता दल (राजद) कार्यालय में आयोजित एक भव्य समारोह के दौरान भाजपा को करारा झटका देते हुए पूर्व प्रखंड अध्यक्ष मनीष कुमार शर्मा, रंजन बरनवाल, बिनोद पांडेय, निर्मल मंडल समेत दर्जनों कार्यकर्ताओं ने पार्टी से इस्तीफा देकर राजद का दामन थाम लिया।

कार्यक्रम के दौरान नए सदस्यों का राजद नेताओं ने फूल-माला पहनाकर गर्मजोशी से स्वागत किया। इस मौके पर पूरा परिसर “लालू यादव ज़िंदाबाद” और “तेजस्वी यादव ज़िंदाबाद” के नारों से गूंज उठा। स्थानीय नेताओं ने भाजपा छोड़कर आए कार्यकर्ताओं को “संगठन की नई ताकत” बताया।

भाजपा में उपेक्षा, सम्मान की तलाश में आए राजद में: मनीष शर्मा

राजद में शामिल हुए भाजपा के पूर्व प्रखंड अध्यक्ष मनीष कुमार शर्मा ने कहा कि भाजपा में अब कार्यकर्ताओं की कोई सुनवाई नहीं है।“हमने पार्टी को खड़ा करने में दिन-रात मेहनत की, लेकिन आज समर्पित कार्यकर्ताओं की अनदेखी की जा रही है। जहां सम्मान नहीं, वहाँ रहना व्यर्थ है इसलिए हमने राजद का साथ चुना,”
उन्होंने कहा।

इसी तरह, भाजपा छोड़ने वाले रंजन बरनवाल और बिनोद पांडेय ने भी कहा कि संगठन में मेहनत की कद्र नहीं रही। “राजद में हमें अपने विचार रखने और संगठन में आगे बढ़ने का मौका मिलेगा,”
उन्होंने जोड़ा।

राजद का पलड़ा भारी, एनडीए के लिए खतरे की घंटी

राजद के प्रखंड अध्यक्ष ने स्वागत भाषण में कहा कि पार्टी उन सभी कार्यकर्ताओं के लिए खुली है जो समाज के अंतिम व्यक्ति तक न्याय पहुँचाने के मिशन में विश्वास रखते हैं। कार्यक्रम के दौरान मिठाइयाँ बांटी गईं, आतिशबाज़ी हुई और समर्थकों ने देर शाम तक जश्न मनाया।

स्थानीय राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि भाजपा से इतने सक्रिय कार्यकर्ताओं का एक साथ जाना, एनडीए के लिए एक बड़ा झटका है। बेलहर और चांदन क्षेत्र में पहले से कमजोर मानी जा रही भाजपा की पकड़ अब और ढीली पड़ सकती है।

11 नवंबर से पहले बदले समीकरण

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बेलहर सीट पर अब मुकाबला और दिलचस्प हो गया है। राजद का जनाधार मज़बूत हुआ है जबकि भाजपा को संगठनात्मक नुकसान हुआ है। 11 नवंबर को होने वाले पहले चरण के मतदान से पहले यह शामिलीकरण राजद के लिए मनोवैज्ञानिक बढ़त के रूप में देखा जा रहा है।