Bihar Election 2025: खगड़िया में तेजस्वी यादव की रैली रद्द — बोले, “भीड़ से डर गई बीजेपी, तानाशाही हो रही है बिहार में”
Bihar chunav 2025: बिहार विधानसभा चुनाव प्रचार के बीच आज एक बड़ा सियासी घटनाक्रम सामने आया है। महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तेजस्वी यादव की खगड़िया रैली आख़िरी वक्त पर रद्द कर दी गई। वजह — प्रशासन की ओर से हेलिकॉप्टर लैंडिंग की अनुमति नहीं मिलना।
दरअसल, शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की तीन चुनावी रैलियों खगड़िया, मुंगेर और बिहारशरीफ — के कार्यक्रम तय थे। ऐसे में प्रशासन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए तेजस्वी के हेलिकॉप्टर को उतरने की अनुमति नहीं दी।
तेजस्वी यादव का केंद्र सरकार पर हमला
तेजस्वी यादव ने इसे सीधे तौर पर केंद्र की तानाशाही बताया। उन्होंने कहा- हमारी सभा के लिए परमिशन नहीं देना बीजेपी की डर और बौखलाहट को दिखाता है। हमारी रैलियों में उमड़ती भीड़ देखकर वो घबरा गए हैं। इस बार जनता झांसे और दबाव में नहीं आने वाली।
तेजस्वी का कार्यक्रम खगड़िया, परबत्ता और अलौली विधानसभा क्षेत्रों में तीन जनसभाओं का था, लेकिन उन्हें इनमें से किसी भी जगह हेलिकॉप्टर लैंडिंग की इजाज़त नहीं मिली।
कहां होनी थी रैली?
सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी की सभा संसारपुर ग्राउंड (JLNKT मैदान के पास) में तय थी- वही इलाका, जहाँ अमित शाह की रैली आयोजित की जा रही है।
प्रशासनिक सूत्रों ने बताया कि अनुमति सुरक्षा कारणों से नहीं दी गई, और इसका किसी राजनीतिक दबाव से लेना-देना नहीं है। हालांकि, तेजस्वी यादव की परबत्ता और अलौली की अन्य रैलियाँ अपने निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार आयोजित होंगी।
अमित शाह का बिहार दौरा
इधर, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह आज बिहार में तीन बड़ी चुनावी सभाओं को संबोधित कर रहे हैं —
1. जननायक कर्पूरी ठाकुर मैदान, खगड़िया
2. नौवागढ़ी हाई स्कूल मैदान, मुंगेर
3. श्रम कल्याण मैदान, बिहारशरीफ (नालंदा)
अमित शाह की इन रैलियों को एनडीए के लिए चुनावी अभियान का “पावर शो” माना जा रहा है, जबकि तेजस्वी यादव इसे सत्ता पक्ष की “घबराहट” बता रहे हैं।
सियासी पारा चढ़ा
तेजस्वी की रैली रद्द होने के बाद महागठबंधन नेताओं ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर अंकुश बताया है।
वहीं बीजेपी और प्रशासन का कहना है कि यह पूरी तरह सुरक्षा से जुड़ा फैसला है, जिसमें किसी तरह की राजनीतिक मंशा नहीं है। खगड़िया का मैदान भले खाली रह गया हो, लेकिन इस “रैली विवाद” ने बिहार की चुनावी राजनीति का तापमान और बढ़ा दिया है।