बिहार की वो 4 सीटें जो हारी तो भाजपा, लेकिन फिर चारों जीते विधायक NDA में शामिल हो गए

 

Bihar Election 2025: 2020 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में भाजपा रामगढ़, मोहनियां, भभुआ और चैनपुर चारों सीटें हार गई थी। चार में से तीन पर राजद और एक पर बसपा जीती। रामगढ़ से राजद के सुधाकर सिंह, मोहनियां से संगीता कुमारी, भभुआ से भरत बिंद और चैनपुर से बसपा के मो. जमा खान ने जीत दर्ज की थी। लेकिन, समय का चक्र बदला और एक-एक कर तीन विधायकों ने पाला बदल एनडीए का दामन थाम लिया।

विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के कुछ दिनों बाद वर्ष 2021 में चैनपुर विधायक मो. जमा खान जदयू में शामिल हो गए। बिहार से यह एकमात्र बसपा के विधायक चुने गए थे। जदयू में शामिल होने के बाद उन्हें अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री बनाया गया। वहीं रामगढ़ में वर्ष 2024 में हुए उपचुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राजद से सीट छीन ली। भाजपा के अशोक कुमार सिंह ने जीत दर्ज कर ली है। वहीं बसपा के सतीश कुमार सिंह यादव दूसरे स्थान पर रहे। जबकि, राजद के अजीत कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे। राजद के सुधाकर सिंह के बक्सर से सांसद बनने के बाद ये सीट खाली हुई थी।

वर्ष 2024 में मोहनियां विधायक संगीता कुमारी और भभुआ विधायक भरत बिंद भाजपा में शामिल हुए। हालांकि तब इन्होंने राजद से इस्तीफा नहीं दिया था। लेकिन, राजद ने इनकी सदस्यता रद्द करने संबंधी पत्र विधानसभा अध्यक्ष नन्द किशोर यादव को दिया था। अब विधानसभा चुनाव की बारी आई तो दोनों विधायक विस अध्यक्ष नंदकिशोर यादव को इस्तीफा दे दिया, जिसे स्वीकार भी कर लिया गया है।

राजनीति में दल बदलने की चली बयार के बीच भाजपा के टिकट पर तीन चुनाव जीतकर मंत्री बनने वाले बृजकिशोर बिंद ने भी पिछले सप्ताह राजद का दामन थाम लिया। कहा जाता है कि मो. जमा खान के जदयू में शामिल हो जाने के कारण भाजपा से टिकट मिलने का आसा नहीं दिखने के कारण बृजकिशोर बिंद राजद में शामिल हुए हैं। हालांकि अभी तक एनडीए या महागठबंधन ने उम्मीदवारों के नाम की घोषणा नहीं की है। जबकि आम मतदाता उम्मीदवारों का नाम सुनने के लिए बेताब दिख रहे हैं।

सियासी दल तलाश रहे विपक्ष की कमजोर कड़ी

संभावित उम्मीदवार अपने लोगों की क्षमता जानने और विरोधियों की कमजोर कड़ी पकड़ने के लिए टेक्निकल हैंडस का उपयोग कर रहे हैं। जुलूस प्रबंधन, डाटा विश्लेषण, सोशल मीडिया प्रबंधन, जनसंपर्क, ग्राफिक डिजाइनिंग आदि कार्य के लिए खास लोगों को लगाया जा सकता है। हालांकि जिले के एक संभावित उम्मीदवार ने कहा कि वह अनुभवी समर्थकों का उपयोग इस तरह के कार्य के लिए करने की तैयारी में जुटे हैं।

चौक-चौराहों पर भी चुनाव की चर्चा

अब शहर के चौक-चौराहों पर विधानसभा चुनाव की चर्चा होने लगी है। किस क्षेत्र के कौन संभावित उम्मीदवार हैं, वह किस मिजाज के हैं और जनहित में क्या कर सकते हैं आदि बिंदुओं पर चर्चा का दौर चाय-पान की दुकानों पर शुरू है। गली-मुहल्लों में भी चुनाव की चर्चा होने लगी है। संभावित उम्मीदवारों की आवाजाही से गलियां गुलजार होने लगी हैं। हालांकि अभी ऐसे लोगों का सिर्फ जनसंपर्क अभियान ही चल रहा है।