संजय जायसवाल ने जातीय जनगणना को लेकर जताई आशंका

 

बिहार में जातीय जनगणना कराने को लेकर बुधवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक हुई. इस बैठक में सभी दलों के प्रमुख नेता शामिल हुए. सर्वदलीय बैठक के बाद सीएम नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार में जातीय आधारित जनगणना होगी. वहीं दूसरी और बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने फेसबुक के जरिए बैठक में उठे विषयों के बारे में जानकारी दी.  

आपको बता दें कि संजय जायसवाल ने लिखा कि, हम केंद्र के बाबा साहब अंबेडकर जी के संविधान प्रदत सातवें शेड्यूल के अधिकारों में किसी तरह की छेड़खानी नहीं करेंगे. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी कहा कि यह सर्वे या गणना ओबीसी कमीशन या अन्य तरह से होनी चाहिए. संजय जायसवाल ने लिखा कि भारत सरकार अपने जनगणना के आधार पर गरीबों के लिए योजनाएं बनाती हैं. अभी नरेंद्र मोदी जी की 60 से ज्यादा योजनाएं गरीब कल्याण के लिए ही हैं. हम कभी उसमें जाति आधारित विभेद नहीं करते.

इतना ही नहीं संजय जायसवाल ने जातिगत जनगणना से जुड़ी आशंकाओं के बारे में बताते हुए लिखा है कि, मैंने अपनी बातों को रखते हुए मुख्यमंत्री के सामने तीन आशंकाएं प्रकट कीं, जिनका निदान गणना करने वाले कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से बताना होगा. उन्होंने लिखा कि पहला, जातीय एवं उप-जातीय गणना के कारण कोई रोहिंग्या और बांग्लादेशी का नाम नहीं जुड़ जाए और बाद में वो इसी के आधार पर नागरिकता को आधार नहीं बनाए.

दूसरा, सीमांचल में मुस्लिम समाज में यह बहुत देखा जाता है कि अगड़े शेख समाज के लोग शेखोरा अथवा कुलहरिया बन कर पिछड़ों की हकमारी करने का काम करते हैं. यह भी गणना करने वालों को देखना होगा कि मुस्लिम में जो अगड़े हैं वह इस गणना के आड़ में पिछड़े अथवा अति-पिछड़े नहीं बन जाएं.

आगे तीसरी आशंका के बारे  में उन्होंने लिखा कि, भारत में सरकारी तौर पर 3747 जातियां है और केंद्र सरकार ने स्वयं सुप्रीम कोर्ट के हलफनामे में बताया कि उनके 2011 के सर्वे में 4.30 लाख जातियों का विवरण जनता ने दिया है. यह बिहार में भी नहीं हो इसके लिए सभी सावधानियां बरतने की आवश्यकता है.