बिहार में वोटर लिस्ट में बड़ा झटका: 61 लाख वोटर लिस्ट से बाहर, विपक्ष की बढ़ी टेंशन
Patna: बिहार की सियासत में इस समय मतदाता सूची को लेकर बड़ी हलचल मची हुई है। विधानसभा चुनावों से पहले 61.1 लाख वोटरों के नाम वोटर लिस्ट से हटाए जाने की तैयारी है। ये आंकड़ा खुद चुनाव आयोग ने जारी किया है, जो राज्य की राजनीति को हिलाकर रख सकता है।
हर विधानसभा सीट से हट सकते हैं 25,000 नाम
बिहार की कुल 243 विधानसभा सीटों को देखें तो औसतन हर सीट से करीब 25,144 वोटर लिस्ट से बाहर हो सकते हैं। ये काम चुनाव आयोग की तरफ से चल रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) प्रक्रिया के तहत हो रहा है। आयोग ने कहा है कि 25 जुलाई तक फॉर्म जमा करने की आखिरी तारीख थी।
आधार पर हट रहे हैं नाम?
चुनाव आयोग के मुताबिक, जिन लोगों के नाम हटाए जाएंगे, उनके पीछे ठोस वजहें हैं:
- 21.6 लाख वोटरों की मृत्यु हो चुकी है
- 31.5 लाख लोग अब स्थायी रूप से बिहार से बाहर बस चुके हैं
- 7 लाख लोग दो जगहों पर वोटर के तौर पर दर्ज हैं
- 1 लाख लोग ऐसे हैं जिनका कोई पता नहीं चल पाया है
अब तक कितने वोटरों की जांच हुई?
बिहार में कुल 7.9 करोड़ वोटर हैं, जिनमें से 7.21 करोड़ लोगों के फॉर्म जमा हो चुके हैं। आयोग का दावा है कि 99% मतदाताओं से संपर्क किया जा चुका है। केवल 7 लाख लोग ही फॉर्म जमा नहीं कर सके हैं।
चुनाव पर क्या होगा असर?
चुनाव आयोग के इस कदम का असर चुनाव परिणामों पर पड़ना तय है, खासकर उन सीटों पर जहां जीत-हार का अंतर बहुत कम होता है।
- 2020 में 11 सीटों पर 1,000 से कम वोटों से नतीजे तय हुए थे
- 35 सीटों पर 3,000 से कम वोटों का अंतर था
- 52 सीटों पर 5,000 से कम वोटों से हार-जीत हुई थी
इन आंकड़ों से साफ है कि अगर इस बार इतने वोटर लिस्ट से बाहर हो गए, तो कई सीटों का गणित पूरी तरह बदल सकता है।
विपक्ष ने उठाए सवाल
राजद, कांग्रेस और अन्य दलों वाला महागठबंधन इस प्रक्रिया पर सवाल खड़े कर रहा है। उनका कहना है कि यह जल्दबाजी में उठाया गया कदम है, जिससे निष्पक्ष चुनाव प्रभावित हो सकते हैं। खास बात यह है कि 2020 में महागठबंधन को 27 सीटों पर 5,000 से कम, 18 सीटों पर 3,000 से कम और 6 सीटों पर 1,000 से कम वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
एसआईआर प्रक्रिया पूरी होने के बाद संशोधित वोटर लिस्ट जारी की जाएगी। इसके बाद ही यह साफ होगा कि कौन बाहर हुआ और कौन अंदर रहा। लेकिन फिलहाल इतना तय है कि बिहार के कई विधायक और राजनीतिक दल इस बड़े फेरबदल से परेशान हैं।