Bihar Election 2025: मधेपुरा में सियासी भूचाल — शरद यादव के बेटे शांतनु से RJD ने टिकट वापस लिया, बोले “मेरे खिलाफ हुआ राजनीतिक षड्यंत्र”
Bihar political news: मधेपुरा की राजनीति एक बार फिर उबाल पर है। समाजवादी धारा की इस ऐतिहासिक भूमि पर शरद यादव के पुत्र शांतनु यादव और राजद विधायक डॉ. चंद्रशेखर के बीच टिकट को लेकर मचा घमासान अब खुलकर सामने आ गया है। शुक्रवार की देर रात तक चले सियासी ड्रामे में राजद ने पहले शांतनु यादव को पार्टी का सिंबल सौंपा, लेकिन कुछ ही घंटों बाद वह सिंबल वापस लेकर वर्तमान विधायक चंद्रशेखर यादव को दे दिया। इस अचानक हुए फेरबदल से मधेपुरा का सियासी तापमान चरम पर है।
शांतनु यादव का दर्द छलका- “मेरे खिलाफ हुआ षड्यंत्र”
टिकट वापस लिए जाने के बाद शांतनु यादव ने सोशल मीडिया पर एक भावनात्मक पोस्ट साझा की। उन्होंने अपने पिता शरद यादव और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव के साथ अपनी एक पुरानी तस्वीर लगाई, जिसमें तेजस्वी उनके हाथ को ऊपर उठाए हुए हैं - मानो उन्हें मधेपुरा की नई उम्मीद घोषित कर रहे हों। तस्वीर के साथ शांतनु ने लिखा, “मेरे खिलाफ राजनीतिक षड्यंत्र हुआ, यह समाजवाद की हार है।” उनका यह बयान साफ़ इशारा करता है कि मधेपुरा में केवल टिकट नहीं, बल्कि एक पूरी वैचारिक लड़ाई चल रही है।
मधेपुरा: समाजवादी आंदोलन की धड़कन
मधेपुरा का इतिहास बताता है कि यह इलाका वी.पी. मंडल, शरद यादव और लालू प्रसाद यादव जैसे नेताओं की राजनीतिक प्रयोगशाला रहा है। यहां चुनाव हमेशा जातीय समीकरण से आगे बढ़कर विचारधारा और व्यक्तित्वों की टक्कर में बदल जाता है। इस बार भी कहानी कुछ वैसी ही दिख रही है- पहले शांतनु यादव को मौका देकर राजद ने युवाओं और “समाजवादी विरासत” का संदेश देने की कोशिश की, मगर फिर टिकट वापस लेकर यह संकेत दिया कि संगठन फिलहाल अनुभव और नियंत्रण को प्राथमिकता दे रहा है।
लालू की रणनीति या अंदरूनी खींचतान?
सियासी हलकों में सवाल उठ रहा है कि क्या यह सब लालू प्रसाद यादव की सोची-समझी रणनीति का हिस्सा है? जानकारों का कहना है कि पार्टी ने यह फैसला स्थानीय स्तर पर फैली नाराजगी को शांत करने के लिए लिया है, ताकि राजद का परंपरागत यादव वोट बैंक बिखरे नहीं। वहीं कुछ राजनीतिक विश्लेषक इसे राजद के भीतर शक्ति-संतुलन की जंग का नतीजा बता रहे हैं।
कोसी में उठी समाजवाद बनाम सत्ता की लहर
मधेपुरा अब सिर्फ एक विधानसभा सीट नहीं, बल्कि “समाजवाद बनाम सत्ता समीकरण” की वैचारिक जंग का मैदान बन चुका है। एक ओर शरद यादव की विरासत को संभालने की कोशिश में शांतनु हैं, तो दूसरी ओर पार्टी के अनुभवी विधायक डॉ. चंद्रशेखर, जिनकी अपनी स्थानीय पकड़ मज़बूत है। वहीं जदयू में निखिल मंडल का टिकट कटना भी इस इलाके के राजनीतिक संतुलन को और पेचीदा बना रहा है।