चेतन आनंद का बड़ा संकल्प: पत्नी संग किया अंगदान का निर्णय, कहा—“मृत्यु के बाद भी किसी के जीवन में रोशनी भरना सबसे बड़ा पुण्य”

 

Bihar News: बिहार की राजनीति में इस समय एक ऐसी पहल चर्चा में है, जिसने लोगों को सामाजिक जिम्मेदारी और इंसानी मूल्यों पर नए सिरे से सोचने को मजबूर कर दिया है। जेडीयू विधायक चेतन आनंद और उनकी पत्नी ने अंगदान (Organ Donation) का संकल्प लेकर न सिर्फ मिसाल पेश की है, बल्कि राज्य में इस गंभीर मुद्दे पर नई बहस भी शुरू कर दी है।

परिवार में लगातार मौतों ने बदली सोच

चेतन आनंद बताते हैं कि उनका यह निर्णय अचानक नहीं था। बीते महीनों में परिवार ने कई बड़े सदमे झेले:
    •    मौसी का निधन
    •    बड़े भाई “पम्पम भैया” का असमय जाना
    •    दो चाचा गंभीर बीमारी से अस्पताल में भर्ती
    •    और फिर एक बुजुर्ग रिश्तेदार की मृत्यु

उन्होंने कहा, “जब एक के बाद एक दुःख सामने आते हैं, तो समझ आता है कि किसी परिवार पर ऐसी त्रासदी टूटने पर कैसी मजबूरियां होती होंगी। तभी महसूस हुआ कि अगर हमारी मृत्यु के बाद भी कोई जी सके, तो इससे बड़ा कोई कार्य नहीं।”

“बिहार में अंगदाता की कमी बड़ी चुनौती”

चेतन आनंद का कहना है कि बिहार में गंभीर बीमारी या ऑर्गन फेल होने पर समय पर अंग मिलना बेहद मुश्किल हो जाता है। कई मरीज दाता की कमी की वजह से इलाज से वंचित रह जाते हैं। यही स्थिति उन्हें और उनकी पत्नी को इस निर्णय तक ले आई। उन्होंने कहा, “सामाजिक जिम्मेदारी भाषणों से नहीं, फैसलों से दिखती है। हम चाहें तो दूसरों के जीवन में उम्मीद बन सकते हैं।”

“नेताओं को नहीं, जनता को प्रेरित करना चाहता हूँ”

जब उनसे पूछा गया कि क्या वे चाहते हैं कि बाकी 242 विधायक भी यह कदम उठाएं, उन्होंने विनम्रता से कहा- “प्रेरणा जनता को दी जा सकती है, नेता अपने निर्णय खुद लेते हैं। पर इतना जरूर कहूँगा कि मृत्यु के बाद जीवन देना सबसे बड़ा उपकार है।”

उन्होंने पूर्व सांसद रोहिणी आचार्य का भी जिक्र किया, जिन्होंने जीते-जी अपने पिता को किडनी दान कर उदाहरण पेश किया था। चेतन आनंद ने कहा, “दान का फैसला हमेशा साहस और इंसानियत का निर्णय होता है।”

परिवारिक विवाद पर संयमित प्रतिक्रिया

परिवारिक मतभेदों पर पूछे गए सवाल पर उन्होंने कहा कि निजी मामलों पर टिप्पणी करना उचित नहीं, लेकिन यह जरूर कहा कि “परिवार को बैठ कर समाधान निकालना चाहिए। एक अभिभावक की भूमिका में लालू प्रसाद यादव को पहल करनी चाहिए।”

चुनाव के रोमांचक नतीजों का भी किया जिक्र

चेतन आनंद ने अपने हालिया विधानसभा चुनाव को याद करते हुए बताया कि अंतिम राउंड में वे 57 वोट से पीछे चल रहे थे, लेकिन अगले बूथ से आए निर्णायक समर्थन ने बाज़ी पलट दी। उन्होंने कहा, “नवीन नगर की जनता पर मुझे भरोसा था और उन्होंने उस भरोसे को टूटने नहीं दिया।”

मंत्री पद पर बोले—“पद के लिए आकांक्षा नहीं”

मंत्री पद को लेकर उन्होंने स्पष्ट किया कि यह निर्णय पार्टी का होता है। “जिम्मेदारी मिलेगी तो निभाएँगे, लेकिन पद की इच्छा कभी प्राथमिकता नहीं रही।”

“अंगदान का फैसला इंसानियत के लिए”

अंत में उन्होंने दोहराया कि अंगदान का यह संकल्प उन्होंने समाज, मानवता और जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से लिया है। उन्होंने कहा, “जीवन का मूल्य मृत्यु के बाद भी कायम रह सकता है—बस एक निर्णय की जरूरत है।”