गया नगर निगम की बड़ी लापरवाही, बारिश के पानी में जातीय गणना के 4 हजार से अधिक रिकॉर्ड सड़े 

Report: Dhiraj Sinha (Gaya)
 

जातीय गणना कराए जाने के बाबत हाई कोर्ट से मिले आदेश के दूसरे ही दिन गया नगर निगम में बड़ा खुलासा हुआ है। जातीय गणना का रिकॉर्ड सुरक्षित रखने के मामले में गया नगर निगम की बड़ी लापरवाही सामने आई है। जातीय गणना के रिकॉर्ड बरसात के पानी से सड़ गए हैं। गणना से सम्बंधित फॉर्म पर दर्ज किए गए अधिकांश डिटेल अब अपठनीय हो गए हैं, जबकि हाई कोर्ट ने बीती 4 मई को जातीय गणना पर रोक लगाए जाने के साथ ही सर्वेक्षण से जुड़े सभी रिकॉर्ड को हरहाल में सुरक्षित व गोपनीय रखने की हिदायत दी थी। बावजूद इसके सारे डॉक्युमेंट्स पानी से तरबतर हो गए हैं। उसे अब धूप व हवा में सुखाने की तैयारी नगर निगम की ओर से की जा रही है। 

दरअसल जातीय गणना के सर्वेक्षण का काम शिक्षकों द्वारा कराया जा रहा था। इस काम को करने वाले शिक्षकों को प्रगणक कहा जाता है। करीब 60-70 प्रगणक गया नगर निगम क्षेत्र में जातीय गणना सर्वेक्षण के काम मे लगाए गए थे। सभी प्रगणक अपना सर्वेक्षण डिटेल नगर निगम में हर दिन जमा करते थे। 

बताया जाता है कि कम से कम एक- एक प्रगणक के पास सर्वेक्षण से जुड़े 80 प्रपत्र थे जिसे फील्ड में जाकर भरा गया था। वे सभी नगर निगम में ही जमा किए गए थे। ऐसे में यदि 70 प्रगणकों ने 80 फार्म जमा किए तो कुल मिला कर साढ़े 5 हजार से अधिक प्रपत्र नगर निगम में जमा कराए गए थे। यानी कि साढ़े 5 हजार से अधिक प्रपत्र नगर निगम की लापरवाही की भेंट चढ़ गया. नगर निगम में सभी प्रगणकों का फॉर्म इसलिए जमा कराए गए थे कि वे वहां पूरी तरह से सुरक्षित रहेंगे पर ऐसा हुआ नहीं। सभी प्रपत्र नगर निगम के सम्राट अशोक भवन के हॉल में रखे गए थे, फिर भी लापरवाही की वजह से सारे प्रपत्र नष्ट होने के कगार पर पहुंच गए हैं। वहीं इधर, नगर आयुक्त अभिलाषा शर्मा ने लापरवाही करने वाले संबंधित पदाधिकारी पर कार्रवाई करने की बात कही है।

बिहार सरकार ने 6 जून 2022 को बिहार में जातीय गणना कराने के लिए अधिसूचना जारी की थी। सात जनवरी से यह काम प्रदेश में शुरू कर दिया गया था । इस काम में बिहार सरकार आकस्मिक निधि (कंटीजेंसी फंड) से 500 करोड़ रुपये खर्च कर रही है। जबकि 5 लाख कर्मचारी मिल कर पूरे राज्य में इस सर्वे को अंजाम दे रहे थे। इसमें सरकारी कर्मचारी के अलावा आंगनबाड़ी सेविका और जीविका दीदी भी काम कर रही थीं। मई 2023 तक इस सर्वे को पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था। बीती 4 मई 2023 को, पटना उच्च न्यायालय ने अपने अंतरिम आदेश में जाति आधारित सर्वेक्षण पर रोक लगा दी थी। इस बीच सर्वेक्षण का 80% काम पूरा हो गया था। अब एक अगस्त को हाईकोर्ट ने जातीय गणना कराने का फैसला सुनाया है। कोर्ट के इस फैसले के आधार पर बुधवार से जातीय गणना का काम शुरू हो गया है। इसी काम के तहत दोपहर बाद प्रगणक गया नगर निगम अपना रिकॉर्ड लेने पहुंचे थे। लेकिन उनके सारे रिकॉर्ड पानी मे सड़े गले मिले। हालांकि सूत्रों का कहना है कि गणना से जुड़े प्रपत्र को लोहे के चादर से बने कंटेनर में रखे जाने थे लेकिन ऐसा नही किया गया।