रामचरितमानस ना होता तो हिंदुओं की रोटी, चोटी और धोती पर संकट होता :- स्वामी रामभद्राचार्य
 

 

केंद्रीय राज्यमंत्री अश्विनी चौबे के संयोजन में छतरपुर हनुमान मंदिर परिसर में आयोजित विश्वगुरु भारत धर्मयज्ञ सह सनातन संस्कृति समागम के अंतिम दिन आयोजित धर्म संसद में पदम विभूषण जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य एवं अयोध्या से मणि राम छावनी के कमलनयन दास व अन्य संत महात्मा उपस्थित हुए. पदम भूषण जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज ने प्रधानमंत्री से आह्वान किया कि 2024 लोकसभा से पहले संसद में प्रस्ताव लाकर भारत सरकार श्रीरामचरित मानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करें. उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में श्रीराम चरितमानस नहीं होता तो हिंदुओं की चोटी, रोटी एवं धोती पर संकट होता ही रहेगा.

स्वामी रामभद्राचार्य  ने कहा कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी महात्मा गांधी को मानते हैं तो उन्हें श्रीरामचरितमानस को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित करने में थोड़ा सा भी विलंब नहीं करना चाहिए. महात्मा गांधी रघुपति राघव राजाराम पतित पावन सीताराम जो भजन गाते थे उसके एक एक शब्द श्रीरामचरितमानस के विभिन्न कांड से लिया गया है. श्रीरामचरितमानस का जो अपमान करते हैं, उनकी बुद्धि में कचरा भरा हुआ है. उन्होंने कहा कि श्रीरामचरितमानस का एक एक शब्द सार्थक है. सभी मंत्रों का सार है. 

इससे पहले केंद्रीय राज्य मंत्री चौबे ने विश्व गुरु भारत धर्मयज्ञ पूर्णाहुति में भाग लिया. प्रकृति की रक्षा की शपथ सभी ने ली. समागम का आयोजन श्रीराम कर्मभूमि न्यास बक्सर एवं नमो सद्भावना समिति हैदराबाद के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था. आए हुए अतिथियों का स्वागत नमो सद्भावना समिति के महासचिव मुरली कृष्ण ने की. विश्व गुरु भारत धर्म यज्ञ एवं विश्वशांति महायज्ञ में प्रतिदिन 500 से अधिक वैदिक स्कॉलर उपस्थित थे. 5 दिनों में करीब 50,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने हवन कुंड में विश्व गुरु भारत बने इसके लिए यज्ञ में भाग लिया.