प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना में गड़बड़ी, तंग आकर हाजीपुर के रौशन कुमार ने छोड़ा पद

 

हाजीपुर के रौशन कुमार पिता सतीश कुमार जयसावल, जिला संयोजक व्यापार प्रकोष्ठ भाजपा वैशाली, उम्र 34 वर्ष है. हाजीपुर जिले के गांधी आश्रम, नगरपरिषद, वार्ड नम्बर 27 के निवासी है. उन्होंने अपने डीलर के पद से इस्तीफा दे दिया. 

बता दें कि गाँधी आश्रम हाजीपुर में वार्ड नं0-22 में जनवितरण प्रणाली के सह उचित मूल्य की दुकान आवंटित की गई थी जिसका अनुज्ञप्ति संख्या- 26/2023 है  

 31.05.2024 को अनुज्ञप्ति संख्या- 26/2023 को वापस करने के लिए एक आवेदन अनुमंडल पदाधिकारी के समक्ष दाखिल किया था. 

सतीश कुमार का कहना है कि गांधी आश्रम हाजीपुर में जनवितऱण प्रणाली के तहत उचित मुल्य की दुकान आवंटन हुआ था. प्रत्येक माह 3695 किलो ग्राम खाधान्न वितरण करना था. जिसका 3325 प्रत्येक माह कमिशन मिलेगा. इसके अलावा संस्थागत भ्रष्टाचार पर खर्च अलग से होगा. मैं सीधा साधा ईमानदार व्यक्ति हूं. इतने कम कमिशम पर अपना खर्चा निकालकर दूकान चलाना संभव नहीं है. 

जानिए क्या है पूरा मामला

1. प्रति क्विंटल 90 रुपया डीलर को कमीशन प्राप्त होता है. जिसमें से 30 रुपया प्रति क्विंटल ऑफिस खर्च में चला जाता है।

2. सरकारी गोदाम से डीलर के गोदाम तक अनाज पहुंचने तक करीब 1000 रुपया डीलर को अलग से नाजायज  खर्च करना पड़ता है, पालदार और धर्मकांटा और गोदाम कर्मचारी के पीछे, जबकि पालदार को और धर्मकांटा का खर्च सरकार देती है।

धर्मकांटा पर अनाज सहित वजन कराने के बाद खाली गाड़ी वजन नहीं कराया जाता है उसी समय ड्राइवर के द्वारा बताया जाता है की खाली गाड़ी का वजन इतना लिख लीजिए। 
3.डीलर को रूम भाड़ा में शहर या गांव के हिसाब से आप तय कर सकते है.
4 अनाज तौलने के लिए कम से कम 3000 रुपया महीना स्टाफ खर्च.
5. डीलर के द्वारा प्रति उपभोक्ता को एक किलो चावल कम दिया जाता है जबकि सरकार के द्वारा 4 किलो चावल और एक किलो गेंहू दिया जाना तय है, जब तक डीलर चोरी नहीं करेगा ,डीलर को घर से घाटा होगा।
6.ग्राहक भी दोषी है. क्योंकि अरवा चावल 70%ग्राहक उसी जगह डीलर को 20 से 22 रुपए प्रति किलो बेच देते हैं, फिर डीलर 2 या 4 रुपए प्रति किलो का मुनाफा लेकर कुरकुरे या अन्य खाद्य वस्तु तैयार करने वालों के हाथ चावल को बेच दिया जाता है
7.कुल मिलाकर डीलर अगर ईमानदारी से ग्राहक को सामान देगा तो घर से घाटा तय है, चोरी और हेराफेरी करेगा तभी उसे मुनाफा होगा. तभी खुद बचेगा और विभाग के पीछे नाजायज खर्च करना पड़ेगा।
8.जबतक सरकार 5 रुपए किलो कमीशन या 15000 रुपया का महीना मानधन नहीं देगी डीलर को तब तक इसी तरह हेराफेरी चलता रहेगा।