"चर्चा-परिचर्चा यात्रा" में उमड़ा जनसैलाब: उसरी पंचायत के गांवों में गूंजा 'चिन्टू भईया' का नाम
यात्रा की शुरुआत शेखाबिगहा से और समापन सोंगरा गांव में
गांवों में सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा और रोजगार की समस्याएं प्रमुख
चिन्टू भईया ने कहा: "जनता की आवाज़ को विधानसभा तक पहुँचाना ही मेरा मकसद"
महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने बड़ी संख्या में भाग लिया
मागधी सेना के कार्यकर्ताओं ने पूरे उत्साह से यात्रा में भाग लिया
यात्रा ने राजनीति को संवाद और सहभागिता से जोड़ने का संदेश दिया
Gaya, Manpur: वजीरगंज विधानसभा के संभावित प्रत्याशी और मागधी सेना के अध्यक्ष चितरंजन कुमार उर्फ चिन्टू भईया ने शनिवार को मानपुर प्रखंड के उसरी पंचायत में जबरदस्त जनसंपर्क अभियान चलाया। "चर्चा-परिचर्चा यात्रा" के तहत गांव-गांव जाकर लोगों की पीड़ा को सुनने और उन्हें भरोसा देने की पहल की गई। और यह महज राजनीतिक दौरा नहीं बल्कि एक सरोकार की यात्रा साबित हुई।
आपको बता दें कि सुबह 10:00 बजे शेखाबिगहा गांव से यात्रा की शुरुआत हुई, जो बारी-बारी से उसरी, बसी बिगहा, मनहोर चक, भागलपुर, बैलदरी, डुमरी, जहाना, केमुचक, हुड़राही, पंडाबिगहा और नौधरिया होते हुए सोंगरा गांव तक पहुँची। हर गांव में चितरंजन कुमार ने अलग-अलग वर्गों के लोगों से बातचीत की है। युवाओं की रोजगार चिंता हो या महिलाओं की सुरक्षा और स्वावलंबन की बातें, चिन्टू भईया ने सब कुछ ध्यान से सुना और भरोसा दिया कि “जनता की आवाज़ को सदन तक पहुँचाना ही मेरा पहला संकल्प है।
जन संवाद नहीं, जन सरोकार की नींव रखी गई
अपने संबोधन में उन्होंने कहा, राजनीति मंचों से नहीं, गलियों और चौपालों से शुरू होती है। जब आप लोगों की आंखों में सपना और पीड़ा साथ-साथ देखते हैं, तभी समझ आता है कि परिवर्तन कितनी बड़ी जिम्मेदारी है। यात्रा के दौरान सड़क, पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत समस्याएं प्रमुख रूप से उभर कर सामने आईं। चिन्टू भईया ने संबंधित मुद्दों को नोट कर शीघ्र समाधान का भरोसा दिया।
महिलाओं और युवाओं की भागीदारी रही अहम
हर गांव में महिलाओं, युवाओं और बुजुर्गों ने बड़ी संख्या में उपस्थिति दर्ज कराई। खासकर युवाओं ने स्थानीय समस्याओं के साथ रोजगार और प्रशिक्षण की मांगों को खुलकर सामने रखा।
मागधी सेना का उत्साह देखते ही बना
पूरी यात्रा में मागधी सेना के सैकड़ों कार्यकर्ताओं की सक्रिय भागीदारी रही। नारे, स्वागत और गांवों में लोगों की गर्मजोशी से यह साफ झलक रहा था कि चिन्टू भईया की इस यात्रा ने लोगों के दिलों को छुआ है।
"चर्चा-परिचर्चा यात्रा" कोई औपचारिक कार्यक्रम नहीं था, यह एक जीवंत संवाद था। वह संवाद, जिसमें एक नेता केवल बोलता नहीं, सुनता भी है। उसरी पंचायत की गलियों में आज सिर्फ आवाज़ें नहीं गूंजी, उम्मीदों की नींव भी डाली गई।