जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटना और इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन पटना चैप्टर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित हुआ वर्कशॉप
 

 

जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटना ने शनिवार को प्वाइंट आफ केयर अल्ट्रासोनोग्राफी विषय पर विशेष वर्कशॉप का आयोजन किया था। इस आयोजन में कई जाने-माने एक्सपर्ट डॉक्टर ने विभिन्न विषयों पर अपनी बातों को रखा और अहम जानकारियां दी। कार्यक्रम का आयोजन जयप्रभा मेदान्ता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल, पटना और इंडियन सोसायटी ऑफ क्रिटिकल केयर मेडिसिन के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस अहम और नई तकनीक पर जयप्रभा मेदान्ता सुपर स्पेशलिटी अस्पताल, पटना की तरफ से पहली बार इतने बड़े स्तर पर वर्कशॉप का आयोजन किया गया। वर्कशॉप में एम्स, आईजीआईएमएस, पीएमसीएच, एमएमसीएच, पल्स हॉस्पिटल के डॉक्टर दीपक के अलावा कई अन्य दूसरी मेडिकल संस्थानों के डॉक्टर ने हिस्सा लिया।

जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटना के क्रिटिकल केयर के एसोसिएट कंसलटेंट डॉ शुभलेश कुमार ने कहा कि (POCUS) यानी पॉइंट ऑफ केयर अल्ट्रासोनोग्राफी अल्ट्रासाउंड पर आयोजित इस कार्यक्रम में बताया गया कि यह नई तकनीक आज के जमाने में और आने वाले कल के लिए एक बड़ी क्रांति होने जा रही है। इस अल्ट्रासाउंड की सबसे बड़ी खासियत यह है कि जरूरत के हिसाब से अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है और इससे मरीज के ऊपर कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ता है और न ही मरीज को कोई परेशानी होती है। इस मशीन का उपयोग को मरीज के पास लाकर किया जा सकता है। जबकि सिटी स्कैन या एक्स रे के लिए पेशेंट को लॉजिस्टिक की ज़रूरत पड़ती है। इस तकनीक में मूव करना ज्यादा आसान होता है। अल्ट्रासाउंड के तहत कई सारे इमरजेंसी कंडीशन को ऑन द स्पॉट जरूरत के हिसाब से जांच किया जा सकता है। जैसे अगर किसी मरीज को कोई परेशानी है तो उस परेशानी को डिटेक्ट करके उसके अनुसार अल्ट्रासाउंड किया जा सकता है।

जयप्रभा मेदांता सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल पटना के क्रिटिकल केयर के डायरेक्टर डॉ किशोर झुनझुनवाला ने कहा कि यह तकनीक इमरजेंसी और आईसीयू से सीधा जुड़ाव रखती है। जब हमारे पास कोई मरीज इमरजेंसी की हालत में आता है, तो हमारा उद्देश्य कम से कम वक्त में मरीज के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी एकत्र करने की जरूरत होती है। ऐसे वक्त में मरीज को रेडियोलॉजी या हर्ट जांच या किसी अन्य चीज के लिए नहीं कह सकते हैं। लेकिन हमें मरीज के बारे में जानकारी की जरूरत होती है, जैसे अगर किसी मरीज का ब्लड प्रेशर लो है तो आखिर क्यों है ? क्या मरीज को किसी प्रकार की इंजरी है और अगर इमरजेंसी है तो उसका प्रकार क्या है ? सबसे बड़ी बात यह सारी जानकारी हमें जल्द से जल्द एकत्र करनी होती है और ऐसी हालत में यह P0CUS काफी मददगार हो सकती है।

डॉक्टर शुभलेश ने कहा कि अगर किसी मरीज के फेफड़े में इंफेक्शन है और उसे सांस लेने में दिक्कत हो रही है या किसी मरीज के फेफड़े में हवा भरी हो, या फेफड़ों में पानी भरा हो तो ऐसे केस इमरजेंसी में आते हैं।इस हालत में अगर मरीज के फेफड़ों का अगर एक्सरे कराया जाए तो फेफड़े में 750 एमएल से ज्यादा फ्लूइड है तो ही वह पकड़ में आ सकता है, जबकि इस तकनीक से अगर 50 एमएल फ्लूइड भी फेफड़े में हो तो वह भी डिटेक्ट किया जा सकता है।