जिन बेटों ने घर से निकाला, उनके लिए माताएं कर रहीं निर्जला व्रत, कहा- मैं जिस हाल में रहूं, वो खुशहाल रहे
 

 

बिहार में जितिया पर्व का काफी अधिक महत्व है. मां अपने बेटों की सलामती और लंबी आयु के लिए कठोर तपस्या करती हैं. कहते हैं कि पुत्र कुपुत्र हो जाए पर माता कभी कुमाता नहीं होती. ऐसा ही कुछ इस जितिया पर्व में देखने को मिला. बेटों ने जिन्हें ठुकराया उन माताएं ने भी अपने बेटों के लिए निर्जला व्रत किया. अपने उन पुत्रों के दीर्घायु की कामना वृद्धाश्रम में ही उन माताओं ने किया. उन माताओं ने अपने दुख और मन की वेदना को किनारे करके अपने बेटों के लिए तपस्या की.

भागलपुर और पूर्णिया के वृद्धाश्रम में रहने वाली उन महिलाओं ने भी जितिया व्रत किया जिन्हें उनके बेटों ने ठुकरा दिया और अपने घर से बेघर कर दिया. भागलपुर के गोराडीह रोड स्थित वृद्धाश्रम में रहने वाली महिलाओं ने वर्षों से अपने बेटों को नहीं देखा. यहां आठ महिलाओं ने जितिया व्रत किया है. कुछ बुजुर्ग महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें बेटों ने ठुकरा दिया तो कुछ ऐसी हैं जो अपने बेटे-बहू के खौफ से भागकर यहां पहुंच गयीं. वृद्धाश्रम में इन महिलाओं के लिए व्रत की तमाम व्यवस्था भी की गयी.

सबौर की गौतमी देवी (70 वर्ष) बताती हैं कि उनके दोनों बेटे परदेश में परिवार के साथ रहते हैं. बेटों के जाने के बाद घर में अकेली हो गयीं. एक बार बेटा के पास रहने गयी थी, पर वहां का पानी सेट नहीं करने लगा. कमजोर हो गयी, तो लौट आयी. दुर्गापूजा और होली में बेटा घर आता है, तो मैं मिलने जाती हूं. वहीं नाथनगर की मुन्नी देवी (75 वर्ष) के तीन बेटे हैं. तीनों दिल्ली, गुजरात और हरियाणा में रह कर कमाते हैं. उनके बाल-बच्चे भी उन्हीं के साथ रहते हैं. ये बीमार रहती हैं. घर में अकेली होने के कारण खुद की देखभाल नहीं कर पाती थी. बेटे के पास रहने गयी, पर तबीयत में सुधार नहीं हो रहा था. आखिर में वृद्धाश्रम आ गयी.

जगदीशपुर की निवासी कुसो देवी (80 वर्ष) के तीन बेटे हैं. तीनों किसान हैं और आठ बीघा खेत भी है. कुसो देवी ने बताया कि बेटे जब खेत जाते हैं तो बहू उनसे गलत बोली में बात करती है और झगड़ा करती है. परेशान होकर वृद्धाश्रम चली आयीं. बताया कि वो लोग कभी-कभी देखने यहां आ जाते हैं.

गोराडीह की खोखो देवी (80 वर्ष) ने बताया कि उसे एक ही बेटा है और वो ही लकवा का मरीज है. हर्ट की भी उसे बिमारी है तो बिस्तर पर ही पड़ा रहता है. बताया कि बहू काफी बदमाश है और पोता व उसकी पत्नी से मुझे पिटवा देती है. तीन महीने परेशान रहकर तब वृद्धाश्रम आ गयी. अब अपने बेटे की सेहत के लिए जितिया कर रही.

सबौर की घनेशरी देवी (80 वर्ष) ने बताया कि उसका एक ही बेटा था जो अब इस दुनिया में नहीं है. बेटे की मौत के बाद बहू से उसकी नहीं पटती है. घर में रहने पर बहू से झगड़ा होता है इसलिए वृद्धाश्रम चली आयी. दो बेटी और एक पोता है. उनके लिए ही जिउतिया पर्व करती हूं.
पूर्णिया के वृद्धाश्रम में भी कई माताएं रहती हैं. नम आंखों से इन माताओं ने बताया कि जिउतिया व्रत कर यहीं से वह अपने बेटों की दीर्घायु की कामना करेंगी. वे उन्हीं बेटों के लिए लगातार करीब 30 घंटे तक निर्जला व्रत रखेंगी, जो अपनी पत्नी की जिद पर पराये की तरह अपनी मां को इस आश्रम में अकेले रहने को छोड़ गये हैं.