नेशनल हेराल्ड केस में ईडी को झटका, कांग्रेस ने बताया सत्य और संविधान की जीत

 

Bihar news: नेशनल हेराल्ड मामले में दिल्ली स्थित राउज एवेन्यू कोर्ट द्वारा प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की चार्जशीट पर संज्ञान लेने से इनकार किए जाने को लेकर कांग्रेस ने इसे बड़ी कानूनी और नैतिक जीत करार दिया है। गया में कांग्रेस नेताओं ने इस फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि यह न्यायपालिका की स्वतंत्रता और लोकतांत्रिक मूल्यों की पुष्टि करता है।

बिहार प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश प्रतिनिधि सह प्रवक्ता विजय कुमार मिट्ठू, पूर्व विधायक खान अली, धर्मेन्द्र कुमार निराला, युगल किशोर सिंह, शिव कुमार चौरसिया, राजेश्वर पासवान समेत अन्य नेताओं ने संयुक्त रूप से कहा कि “सत्य को परेशान किया जा सकता है, लेकिन पराजित नहीं किया जा सकता।”

सोनिया-राहुल के लिए बड़ी राहत

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह फैसला पार्टी की प्रेरणास्रोत सोनिया गांधी और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी के लिए बड़ी राहत है। उन्होंने कहा कि अदालत के इस निर्णय ने यह स्पष्ट कर दिया है कि सत्ता के दबाव में भी न्यायपालिका ने कानून और संविधान की मर्यादा से समझौता नहीं किया।

नेताओं का कहना था कि कांग्रेस का संघर्ष हमेशा सत्य, लोकतंत्र और नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए रहा है और आगे भी यह लड़ाई पूरी मजबूती से जारी रहेगी।

राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप

कांग्रेस नेताओं ने आरोप लगाया कि इस फैसले से केंद्र की मोदी सरकार की राजनीतिक मंशा उजागर हो गई है। उन्होंने कहा कि विपक्ष को डराने और दबाने के लिए केंद्रीय एजेंसियों का इस्तेमाल किया गया, लेकिन अदालत ने इस कोशिश को सिरे से खारिज कर दिया।

नेताओं ने यह भी कहा कि अदालत ने साफ कर दिया है कि नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी का कोई स्पष्ट क्षेत्राधिकार नहीं बनता, क्योंकि न तो कोई एफआईआर दर्ज है और न ही मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा कोई ठोस आधार मौजूद है।

लोकतंत्र की जीत बताया फैसला

बिहार कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पिछले एक दशक से विपक्ष के खिलाफ बदले की भावना से कार्रवाई की जा रही है, जो लोकतंत्र की आत्मा पर हमला है। अदालत के फैसले ने इस राजनीति पर विराम लगाया है।

उन्होंने दोहराया कि न तो अपराध से अर्जित धन का कोई सबूत है, न ही संपत्ति के अवैध हस्तांतरण का कोई प्रमाण। सभी आरोप तथ्यहीन और राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित थे।

कांग्रेस नेताओं ने कहा कि यह फैसला केवल कानूनी नहीं, बल्कि नैतिक रूप से भी सत्ता की राजनीति को आईना दिखाता है। उन्होंने भरोसा जताया कि न्यायपालिका आज भी लोकतंत्र की अंतिम चौकी है और वहीं से सत्ता की मनमानी पर लगाम लगती है।