सर्द रातों में रेलवे का हाई-अलर्ट ऑपरेशन: दानापुर मंडल ने 2080 KM ट्रैक पर शुरू की ‘नाइट लाइन वॉच’, 780 कर्मचारियों की तैनाती
Patna Desk: कड़ाके की ठंड में तापमान जैसे-जैसे गिर रहा है, दानापुर रेल मंडल ने ट्रैकों की सुरक्षा को लेकर अपना सबसे बड़ा सर्दियों वाला ऑपरेशन सक्रिय कर दिया है। रेलवे भाषा में इसे भले न कहा जाए, लेकिन व्यवहारिक रूप से यह अभियान किसी नाइट क्रैकडाउन से कम नहीं—जहाँ 2080 किलोमीटर की पूरी लाइन पर हर रात “इंच-टू-इंच” निगरानी की जा रही है।
ठंड के मौसम में लोहे की पटरियाँ सिकुड़ती हैं और अचानक दरार (क्रैक) आने का जोखिम बढ़ जाता है। यही वह जोखिम है जिसे रेलवे “संभावित हादसे की शुरूआती चेतावनी” मानते हुए पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतर चुका है।
780 कर्मचारियों की तैनाती, दो-दो की यूनिट में नाइट गश्त
दानापुर मंडल ने रात की खास शिफ्ट—10 बजे से सुबह 6 बजे तक—ट्रैक पेट्रोलिंग के लिए 780 कर्मचारियों को मैदान में उतारा है। सभी को दो-दो की टीम में बाँटा गया है, ताकि डबल लाइन सेक्शन पर 2 किलोमीटर और सिंगल लाइन पर 4 किलोमीटर के क्षेत्र की जिम्मेदारी सुनिश्चित की जा सके।
झाझा–पटना–डीडीयू सेक्शन, जो मालगाड़ियों और पैसेंजर ट्रेनों की व्यस्त लाइन मानी जाती है, इस अभियान का हॉटस्पॉट है।
मिड-पॉइंट मीटिंग: पेट्रोलिंग की सबसे पुख्ता प्रक्रिया
इस ऑपरेशन का सबसे दिलचस्प और महत्त्वपूर्ण हिस्सा है टीमों का मिड-पॉइंट मीटिंग सिस्टम। दोनों दिशाओं से चल रही टीम बीच में मिलती है, एक-दूसरे के रजिस्टर पर हस्ताक्षर करती है, ताकि यह प्रमाणित हो जाए कि ट्रैक का पूरा हिस्सा कवर हो चुका है और कोई भी खंड निगरानी से नहीं छूटा।
यह व्यवस्था रेलवे के लिए “चेन ऑफ एविडेंस” की तरह काम करती है—किसी भी हादसे की सूरत में पहली नजर पेट्रोलिंग रिकॉर्ड पर जाती है।
सस्पिशियस एक्टिविटी मिलते ही ‘इंस्टेंट ऐक्शन टीम’ सक्रिय
यदि पेट्रोलिंग के दौरान पटरियों पर
• दरार
• गैप
• या कोई संदिग्ध हरकत
दिखाई देती है, तो तुरंत तकनीकी टीम मौके पर पहुँचकर मरम्मत का काम शुरू कर देती है। अधिकारियों के मुताबिक, तेज़ कार्रवाई ही संभावित हादसे को “इंसिडेंट” बनने से रोकती है।
फरवरी 2026 तक चलेगा विशेष अभियान
दानापुर मंडल के वरिष्ठ डीसीएम अभिनव सिद्धार्थ ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा रेलवे की सर्वोच्च प्राथमिकता है। ठंड बढ़ने के साथ ट्रेक में सिकुड़न और क्रैक की आशंका बढ़ती है, इसलिए यह नाइट पेट्रोलिंग व्यापक स्तर पर फरवरी 2026 तक जारी रहेगी।
सर्दियों में भी सुरक्षित और निर्बाध ट्रेन संचालन
इस कठोर मॉनिटरिंग के जरिए रेलवे का मकसद सर्दियों के मौसम में पटरी पर होने वाली तकनीकी गड़बड़ियों को समय रहते पहचानना और ट्रेन संचालन को पूरी तरह नियंत्रित, सुरक्षित और बाधारहित बनाए रखना है।