राजभवन में धूमधाम से मना राजस्थान का स्थापना दिवस, राज्यपाल ने कहा- राजस्थानी भोजन तन और मन, दोनों को ही सहृदय प्रदान करते हैं

 

राजस्थान आज 75 साल का हो गया. 1949 में आज ही के दिन 19 रियासतों और 3 ठिकाने को मिलाकर 'राजस्थान' की स्थापना हुई थी, जिसमें करीब साढ़े आठ साल का समय लगा था. आजादी से पहले इसे 'राजपूताना' के नाम से जाना जाता था. लेकिन 7 चरणों में रियासतों का एकीकरण पूरा होने के बाद इसका नाम 'राजस्थान' रखा गया. क्षेत्रफल के लिहाज से आज यह भारत का सबसे बड़ा राज्य है, जो अपने गौरवशाली इतिहास के लिए प्रसिद्ध है. इस खास अवसर पर
माननीय राज्यपाल श्री राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने राजभवन, बिहार के राजेन्द्र मंडप में 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' के तहत आयोजित राजस्थान के स्थापना दिवस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि राजस्थान के लोग जहाँ भी रह रहे हैं, वहाँ उन्होंने विशिष्ट पहचान बनाई है तथा औद्योगिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, शिक्षा आदि सभी क्षेत्रों में उनका महत्वपूर्ण योगदान है।

राज्यपाल ने कहा कि राजस्थान भारत का एक महत्वपूर्ण राज्य है। वहाँ के लोग काफी सहृदय और मिलनसार हैं। राजस्थानी व्यंजन की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि वे तन और मन, दोनों को ही तृप्ति प्रदान करते हैं।

उन्होंने कहा कि राजस्थान के लोग भारत के सभी प्रदेशों में रह रहे हैं और वे वहाँ के सांस्कृतिक एवं सामाजिक परिवेश में पूरी तरह रच-बस गये हैं। बिहार के लोगों की आत्मीयता और प्रेम के कारण ही इस राज्य में वे बिहारी बनकर रह रहे हैं। उन्होंने बिहार की भाषा और संस्कृति को अपनाते हुए इस राज्य के साथ अपनापन के भाव को सँजोया है। बिहार के आर्थिक विकास सहित विभिन्न क्षेत्रों में वे अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं।

राज्यपाल ने कहा कि जब-जब भारत एक होता है, तब-तब वह श्रेष्ठ होता है। भारत की श्रेष्ठता एकता के कारण है। उन्होंने विद्यालयों में विद्यार्थियों द्वारा अपने देश के संबंध में प्रतिज्ञा (Pledge) लेने की चर्चा करते हुए कहा कि हम सभी भारतमाता की संतान हैं और इस कारण हम आपस में भाई-बहन हैं। उन्होंने कहा कि भारत के किसी एक राज्य के लोगों को तकलीफ होने अथवा उनपर विपत्ति आने पर दूसरे दूरस्थ राज्यों के लोगों को पीड़ा होती है। उत्तरकाशी सुरंग में फँसे सभी 41 मजदूरों के लिए पूरा देश चिंतित था और उनसे परिचित नहीं होने के बावजूद भी सभी देशवासी उनके सकुशल बाहर निकलने के लिए दुआएँ कर रहे थे तथा उनके बाहर आने पर सब ने खुशी जाहिर की। यह हमारे देशवासियों का एक-दूसरे के प्रति प्रेम और अपनापन की भावना तथा आपसी एकता का प्रतीक है जिसे बनाए रखने की आवश्यकता है।


उन्होंने कहा कि हमारे देश के विभिन्न राज्यों की भाषा, वेश-भूषा, रहन-सहन, खान-पान इत्यादि भिन्न हैं किन्तु हम एक हैं। एकता का यह भाव जब प्रबल होता है तब भारत श्रेष्ठ होता है। हमें इस भाव को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। हम चाहे जिस राज्य के भी हों और कहीं भी रहते हों, परन्तु हम भारतीय हैं।

राज्यपाल ने इस अवसर पर भारतमाता के चित्र पर माल्यार्पण किया। उन्होंने राजस्थान के स्थापना दिवस पर वहाँ के लोगों को बधाई और शुभकामनाएँ दी। इस अवसर पर राजस्थान की संस्कृति पर आधारित रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। कार्यक्रम को उद्योग विभाग के अपर मुख्य सचिव  संदीप पौड्रिक, प्रसिद्ध समाजसेवी प‌द्मश्री विमल जैन, सुप्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ० उषा डिडवानिया एवं बिहार प्रादेशि

इस अवसर पर बिहार प्रदेशिक मारवाड़ी सम्मेलन, पटना नगर शाखा के अध्यक्ष शशि गोयल, मुख्य संयोजक आशीष आदर्श, रणदीप झुनझुनवाला, अंजनी सुरेका, सुनील मोर, अमित कुमार अग्रवाल, दिलीप मित्तल, राकेश बंसल मौजूद रहे। साथ ही राज्यपाल के प्रधान सचिव श्री रॉबर्ट एल० चोंग्थू विभिन्न विश्वविद्यालयों के कुलपतिगण, बिहार में पदस्थापित राजस्थान के पदाधिकारीगण एवं उनके परिजन, बिहार में पढ़ाई कर रहे राजस्थान के छात्र-छात्राएँ, बिहार में रह रहे राजस्थान के महानुभावगण तथा राज्यपाल सचिवालय के पदाधिकारीगण एवं कर्मीगण उपस्थित थे।