सूर्य भगवान के रहस्यों को समझने से प्राप्त होती है आठों सिद्धियां - स्वामी चिदात्मन जी महाराज 
 

 
श्री साईं बाबा सेवा समिति की ओर से अनिसाबाद पुलिस कालोनी स्थित मंदिर में लक्षाहुति अंबा महायज्ञ के ज्ञान मंच से संत शिरोमणि करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने नौ दिवसीय कथावाचन के अंतिम दिन हजारों की संख्या में जुटे श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि शास्त्र, संत एवं विद्वान कहते हैं कि सिद्धियां आठ ही हैं. महावीर जी ने आठों सिद्धियां सूर्य से शिक्षा ग्रहण करने के दौरान प्राप्त की. महावीर जी के गुरु सूर्य हैं, गुरु का मतलब होता है जो हमें अंधकार रूपी ज्ञान से प्रकाश रूपी ज्ञान की ओर लाये. ज्ञान से धर्म, अर्थ, काम एवं मोक्ष की प्राप्ति होती है. इसलिए सबसे बड़ा संसार में ज्ञान को ही बताया गया है.

 बेगूसराय के सिमरिया धाम के संत स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कहा कि जो सूर्य भगवान के रहस्यों को समझ लेता है उसे आठों सिद्धियों की प्राप्ति होती है. यह सिद्धियां केवल देवता को ही मिलती है, दानव को नहीं, जबकी दोनों ऋषि के ही संतान हैं. उन्होंने ज्ञान मंच से अष्टांग योग का भी विस्तृत विवेचन किया. उस अगोचर से जुड़ना ही वास्तविक अर्थ है. श्रेष्ठ व्यक्ति हमेशा अपने दोष को खोजते हैं. जो दूसरे के दोष देखते हैं, उसे देखने वाले भी उसके दोष से प्रभावित हो जाते हैं. वास्तव में 'देहस्थः सर्वे तीर्थनि देहस्थः सर्वे देवता' आपके शरीर में ही सारे तीर्थ एवं सभी देवता स्थित हैं. इस रहस्य को जानना ही पूर्णता की प्राप्ति है. 

 अंत में उन्होंने कहा कि आचार प्रथम धर्म है और धर्म की अधिष्ठात्री भगवती जगदंबा हैं. इसलिए जो मनुष्य नित्य है, नैमित्तिक तथा काम्य कर्मों से सम्बद्ध आचारों का विधि पूर्वक पालन करता है, वह भोग तथा मोक्ष के फल का अधिकारी होता है. चिदात्मन जी महाराज ने शास्त्रोक्त आदि कुंभ स्थली सिमरिया धाम से भारत के द्वादश कुंभ स्थली का पुर्नजागृत कर भारत की एकता एवं अखंडता को नया बल दिया. जिसे हम अपने अतीत के गौरव को पुनः प्राप्त कर पायें.

 इस महायज्ञ को मिथिला के विद्वान वैदिक आचार्यों द्वारा विधि विधान के साथ सम्पन्न किया गया, जिसमें पंडित रंजन शास्त्री, आचार्य पंडित दिनेश झा, पं. सदानंद झा, पं श्रीराम झा, पं. रविनंदन झा, पं सुजीत पाठक एवं पं. सियाराम पाठक की भूमिका रही. आज अंतिम दिन महायज्ञ की पूर्णाहुति 11 कुंवारी कन्याओं के पूजन और प्रसाद ग्रहण के साथ सम्पन्न हुआ. साथ ही महायज्ञ के दौरान दानपात्र में प्राप्त निधि को संत स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने श्री साईं बाबा सेवा समिति के अध्यक्ष को परिसर के विकास के लिए सौंप दिया. इससे श्रद्धालुओं ने उनकी खूब तारीफ करते हुए जयकारे लगाए.