बेगूसराय के स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने पटना में सुनाई कथा, बोले- आध्यात्मिक परंपरा में देवी उपासना महत्वपूर्ण

 

बिहार के बेगूसराय जिले के सिमरिया घाट के रहने वाले संत शिरोमणि करपात्री अग्निहोत्री परमहंस स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने भगवती की कृपा को जीवन की बाधाओं के नाश और सुख-समृद्धि का मूल कारण बताया. भारत की सनातन संस्कृति और आध्यात्मिक परंपरा में देवी उपासना का महत्वपूर्ण स्थान है. यह न केवल आध्यात्मिक साधना का आधार है, बल्कि समाज को मार्गदर्शन और प्रेरणा प्रदान करने का माध्यम भी है. उन्होंने भक्तों को प्रेरित किया कि वे नियमित रूप से देवी भागवत का श्रवण और पाठ करें. भगवती की कृपा न केवल व्यक्तिगत जीवन की समस्याओं का समाधान करती है, बल्कि मानव को परम पद की प्राप्ति की ओर अग्रसर भी करती है. स्वामी चिदात्मन ने सनातन हिंदू संस्कृति की महत्ता को रेखांकित किया. यह संस्कृति केवल धार्मिक मान्यताओं तक सीमित नहीं है, बल्कि जीवन जीने की कला और मानवता के उत्थान का मार्गदर्शन भी करती है. भगवती की कथा के श्रवण और चिंतन-मनन से व्यक्ति न केवल अपने मानसिक तनाव और भय को समाप्त कर सकता है, बल्कि आत्मिक शांति और दिव्यता का अनुभव भी कर सकता है. इस धार्मिक आयोजन का मुख्य उद्देश्य समाज में आध्यात्मिक जागृति, आत्मिक शुद्धि और भक्ति भाव को बढ़ावा देना है. पटना के गर्दनीबाग स्थित पुलिस कॉलोनी में नौ दिनों तक चलने वाले इस कार्यक्रम में जप, पाठ और हवन जैसी विधियों का आयोजन हुआ, जिसने श्रद्धालुओं के मन में एक नई ऊर्जा का संचार किया.    

भगवती की कथा ने महिलाओं, पुरुषों और बच्चों सहित सभी वर्गों को यह समझने का अवसर दिया कि कैसे धर्म और अध्यात्म जीवन को सार्थक बना सकते हैं. आज के समय में, जब लोग तनाव, चिंता और भौतिकता की चकाचौंध में फंसकर अपनी आध्यात्मिक जड़ों से दूर होते जा रहे हैं, ऐसे आयोजनों का महत्व और बढ़ जाता है. श्रीमद देवी भागवत जैसी कथाएं और महायज्ञ जैसे धार्मिक अनुष्ठान समाज को उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से जोड़ने में सहायक हैं. कथा व्यास लक्ष्मण महाराज ने इस संदर्भ में कहा कि भगवती की कथा का श्रवण व्यक्ति के जीवन से बाधाओं को दूर करता है. यह कथा जीवन में शांति, सुख और समृद्धि लाने का साधन बनती है. ऐसे आयोजनों के माध्यम से समाज के हर वर्ग को यह संदेश मिलता है कि भक्ति, साधना और धर्म के प्रति आस्था से जीवन में आने वाली हर चुनौती को पार किया जा सकता है. आधुनिक युग में जहां विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने अद्भुत प्रगति की है, वहीं आध्यात्मिकता की उपेक्षा के कारण समाज में नैतिक और मानवीय मूल्यों का क्षरण हो रहा है. ऐसे में श्रीमद देवी भागवत कथा जैसे आयोजनों का महत्व और भी अधिक हो जाता है.

भारत अपनी प्राचीन संस्कृति और आध्यात्मिक परंपराओं के लिए विश्वभर में विख्यात है. यहां की देवी-देवताओं की उपासना प्रणाली, धार्मिक अनुष्ठान और वेद-पुराणों की कथाएं न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक हैं, बल्कि जीवन को गहराई से समझने और जीने की कला भी सिखाती हैं. श्रीमद देवी भागवत कथा जैसे आयोजन हमें हमारी जड़ों से जोड़ने और हमारे जीवन को सही दिशा देने का कार्य करते हैं. भारतीय संस्कृति में महिलाओं को देवी का स्वरूप माना गया है. इस तरह के आयोजनों में उनकी भागीदारी न केवल उनके आध्यात्मिक उत्थान का माध्यम है, बल्कि समाज में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को भी रेखांकित करता है. 

श्रीमद देवी भागवत कथा और अनंत श्री लक्षाहुति महायज्ञ जैसे आयोजन भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत को सहेजने और संजोने के लिए महत्वपूर्ण हैं. यह न केवल व्यक्तिगत विकास का साधन है, बल्कि समाज के उत्थान और सामूहिक चेतना के विकास का भी माध्यम है. स्वामी चिदात्मन जी महाराज और कथा व्यास लक्ष्मण जी महाराज जैसे संतों के प्रयासों से समाज को अपनी संस्कृति और धर्म के प्रति जागरूक बनाया जा रहा है. ऐसे आयोजन हमें यह संदेश देते हैं कि जीवन की सभी समस्याओं का समाधान धर्म, भक्ति और साधना के मार्ग पर चलने में ही निहित है.