चारा घोटाले की फाइलों पर अब रोज़ गिरेगी अदालत की गाज, सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद स्पीड ट्रायल शुरू

 

Bihar News: सुप्रीम कोर्ट के पुराने मुकदमों को तेज़ी से निपटाने संबंधी आदेश के बाद करोड़ों रुपये के चारा घोटाला मामले में न्यायिक प्रक्रिया अचानक रफ़्तार पकड़ चुकी है। दो दशक से अधिक समय से लंबित इस हाई-प्रोफाइल केस की सुनवाई अब सीबीआई की विशेष अदालत में प्रतिदिन होगी। विशेष सीबीआई न्यायाधीश राकेश कुमार ने केस को स्पीड-ट्रायल मोड में लेते हुए सभी आरोपितों को हर तारीख पर व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहने का आदेश जारी किया है।

करीब 28 साल पुराने इस मामले को बिहार की राजनीति और प्रशासनिक व्यवस्था में भ्रष्टाचार के सबसे बड़े उदाहरणों में गिना जाता है। चार्जशीट के मुताबिक केस में 250 से अधिक गवाह हैं, जिनमें से 110 गवाहों की गवाही अब तक दर्ज हो चुकी है। वर्तमान में लालू प्रसाद सहित 18 आरोपितों के खिलाफ सुनवाई जारी है। अदालत का दैनिक संचालन इस मुकदमे को उसके नतीजे तक पहुँचाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

यह मामला वर्ष 1996 में सामने आया था, जिसमें आरोप है कि भागलपुर जिले के बांका उप-कोषागार से पशुपालन विभाग के नाम पर जाली विपत्रों के जरिए लगभग 45 लाख रुपये की अवैध निकासी की गई। सीबीआई ने इसे आरसी 63 (ए)/96 नाम से दर्ज किया था और शुरू में 44 व्यक्तियों को अभियुक्त बनाया गया था। समय के साथ कई आरोपितों की मृत्यु हो चुकी है, जबकि अन्य पर मुकदमा जारी है।

इस कांड की गंभीरता केवल वित्तीय अनियमितता तक सीमित नहीं है; इसमें उस दौर के पूर्व मुख्यमंत्री, मंत्री, विधायक से लेकर आईएएस अधिकारी तक आरोपित रहे हैं। यही वजह है कि चारा घोटाला भारतीय राजनीति और सिस्टम में भ्रष्टाचार के गठजोड़ का एक क्लासिक केस माना जाता है।

विशेष अदालत की नई कठोरता ने साफ संकेत दे दिया है- अब यह केस फाइलों में दबा नहीं रहेगा। हर दिन सुनवाई होगी, हर दिन गवाही होगी, और सच के आख़िरी धागे तक पहुँचा जाएगा।