पटना जिले की शहरी 4 विधानसभा सीटों की तस्वीर साफ, पटना साहिब पर RJD और अन्य पर लड़ेगी कांग्रेस

 

विधानसभा चुनाव के लिए नामांकन प्रक्रिया शुरू हो गई लेकिन अभी राजग व महागठबंधन ने सीट वार अपने प्रत्याशी घोषित नहीं किए हैं। राजद कार्यालय में चर्चा के अनुसार इस बार बहुत सी सीटों पर चेहरा बदलेगा। शहरी क्षेत्र की दीघा, कुम्हरार, बांकीपुर व पटनासाहिब सीटों पर इस बार रोमांचक संघर्ष हो सकता है। ये चारो सीटें भाजपा का गढ़ मानी जाती हैं। महागठबंधन इनमें से पटना साहिब से राजद और शेष अन्य से कांग्रेस के उम्मीदवार लड़ाने जा रही है।

राजद भाजपा की एक नेता के पुत्र को अपना प्रत्याशी बना सकती है। राजनीतिक चर्चाओं को सही मानें तो इंडिया गठबंधन (महागठबंधन) में सीटों के बंटवारे पर अब लगभग अंतिम सहमति बन गई है। राजधानी पटना की 14 विधानसभा सीटों को लेकर जो गतिरोध था, उसकी भी तस्वीर साफ हो गई है। राजद कार्यकर्ताओं की मानें तो इस बार पटना की शहरी सीटों पर महागठबंधन की रणनीति में अहम बदलाव किए गए हैं।पटना साहिब जैसी हाईप्रोफाइल सीट से राष्ट्रीय जनता दल (राजद) मैदान में उतरेगी, जबकि अन्य प्रमुख शहरी सीटें कांग्रेस के हिस्से में आई हैं।

जीत का फार्मूला या दोहराएगा पुराना इतिहास

शहरी सीटें भाजपा का गढ़ मानी जाती हैं। यही कारण है कि लंबे समय से पटना साहिब सीट से नंदकिशोर यादव, कुम्हरार से अरुण कुमार सिन्हा, बांकीपुर से नितिन नवीन व दीघा से संजीव चौरसिया जीत रहे हैं।महागठबंधन ने इस बार सीट बंटवारे पर गहन मंथन किया है। महंगाई, बेरोजगारी, पलायन, जलजमाव, जाम, नागरिक सुविधाओं की बहाली के अलावा माई-बहन योजना, पेंशन योजना, सरकारी नौकरी व रोजगार जैसे मुद्दों के साथ राजद यहां उतरेगी।

यही नहीं भाजपा नेता और पटना के मेयर सीता साहू के युवा पुत्र शिशिर कुमार को मैदान में उतारने की चर्चा तेज है। शिशिर कुमार ने 16 तारीख को नामांकन दाखिल करने का निर्णय लिया है। अब तक इस सीट पर कांग्रेस या किसी अन्य सहयोगी दल के प्रत्याशी मैदान में उतरते थे। इस बार इसे सीधे तौर पर राजद के खाते में दिया गया है। पटना साहिब सीट पर शहरी व मध्यम वर्ग के मतदाताओं का बाहुल्य है। इसके बावजूद राजद यहां से खुद मैदान में उतरकर नई चुनौती स्वीकार कर रही है।

वहीं, कांग्रेस दीघा, कुम्हरार व बांकीपुर में अपने पुराने जनाधार को फिर से मजबूत करने की कोशिश में लगी है। पार्टी की रणनीति है कि वह शहरी मतदाताओं को राष्ट्रीय मुद्दों व स्थानीय समस्याओं के जरिए जोड़ें। पिछली बार इन सीटों पर कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं मिल सकी थी लेकिन इस बार वह संगठनात्मक स्तर पर पहले से अधिक सक्रिय दिख रही है।

जातीय और सामाजिक समीकरण का ध्यान

महागठबंधन ने सीट बंटवारे में जातीय संतुलन व सामाजिक समीकरणों का भी पूरा ध्यान रखा है। पटना साहिब जैसे सीटों पर राजद का उतरना इस ओर इशारा है कि पार्टी शहरी वोट बैंक को भी साधना चाहती है। इस बार माय समीकरण से आगे बढ़ते हुए हर जाति-वर्ग को साधने की कवायद दिख रही है। पटना से तीन से चार सवर्ण उम्मीदवारों को राजद मैदान में उतार सकती है। पटना साहिब में राजद ने अपने वोट बैंक के साथ भाजपा के अनुयायियों को भी साध रही है।