दुनिया झुकी बोधगया के चरणों में: महाबोधि मंदिर को 33 देशों से करोड़ों का दान, गिनती में लगे पूरे 9 दिन

 

Gaya News: विश्व धरोहर महाबोधि महाविहार एक बार फिर आस्था और विश्वास का वैश्विक केंद्र बनकर उभरा है। इस वर्ष बोधगया मंदिर प्रबंधन समिति (BTMC) को देश-विदेश से दान की ऐसी बाढ़ मिली कि राशि गिनने में ही पूरे 9 दिन लग गए। 33 देशों से प्राप्त भारतीय और विदेशी मुद्रा को मिलाकर कुल दान 2 करोड़ 2 लाख 34 हजार 94 रुपये तक पहुंच गया है।

BTMC के अनुसार, दिसंबर के पहले पखवाड़े में जब महाबोधि मंदिर और समिति कार्यालय की दान पेटियां खोली गईं, तो वहां से अलग-अलग देशों की मुद्राएं निकलीं। इन्हें गिनने का काम 15 दिसंबर से 23 दिसंबर तक चला। इस दौरान भारतीय मुद्रा के साथ-साथ विदेशी नोटों और सिक्कों की गिनती में विशेष सावधानी बरती गई।

म्यांमार सबसे आगे, एशिया-यूरोप से भी भरपूर दान

दान में सबसे बड़ी हिस्सेदारी म्यांमार के श्रद्धालुओं की रही। वहां से 5 करोड़ 31 लाख 52 हजार 300 क्यात, यानी भारतीय मुद्रा में करीब 21 लाख 26 हजार रुपये प्राप्त हुए। इसके अलावा थाईलैंड, वियतनाम, श्रीलंका, कोरिया, जापान, चीन, ताइवान, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, यूएई, कतर, कुवैत, ओमान, बहरीन, इराक, टर्की, इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और सिंगापुर सहित कुल 33 देशों के श्रद्धालुओं ने दान दिया।

थाईलैंड से 7 लाख 6 हजार 940 बात (करीब 17.67 लाख रुपये), अमेरिका से 10,376 डॉलर (लगभग 9.33 लाख रुपये) और वियतनाम से 28 करोड़ 21 लाख डोंग (करीब 8.46 लाख रुपये) की राशि प्राप्त हुई। कुल दान में 1 करोड़ 29 लाख 41 हजार 100 रुपये भारतीय मुद्रा और 72 लाख 62 हजार 394 रुपये विदेशी मुद्रा शामिल है।

विदेशी मुद्रा पर अटका रास्ता भी खुला

बीटीएमसी के लिए राहत की बात यह रही कि विदेशी मुद्रा के उपयोग को लेकर लंबे समय से चला आ रहा गतिरोध अब समाप्त हो गया है। केंद्रीय गृह मंत्रालय के विदेशी मुद्रा विनियमन अधिनियम (FEMA) शाखा के निर्देश के बाद स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की बोधगया शाखा ने विदेशी मुद्रा स्वीकार करना शुरू कर दिया है। इसके तहत 33 देशों की मुद्रा को अधिकृत प्रक्रिया से भारतीय रुपये में बदला जाएगा।

प्रबंधन और संरक्षण में होगा उपयोग

गया के जिलाधिकारी सह बीटीएमसी अध्यक्ष शशांक शुभंकर ने बताया कि यह पूरी राशि महाबोधि महाविहार के संरक्षण, प्रबंधन और सुविधाओं के विकास में खर्च की जाएगी। उन्होंने कहा कि दुनिया भर के बौद्धों की आस्था इस दान के रूप में साफ झलकती है और यह जिम्मेदारी भी बढ़ाती है कि मंदिर का रखरखाव अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप किया जाए।

महाबोधि मंदिर को मिला यह दान न सिर्फ बोधगया की वैश्विक पहचान को और मजबूत करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि बुद्ध की तपोभूमि आज भी दुनिया भर के श्रद्धालुओं के दिलों में बसती है।