Bihar Election 2025 : मोकामा फिर दहला- जन सुराज समर्थक आरजेडी नेता दुलारचंद यादव की गोली मारकर हत्या, इलाके में तनाव
Bihar Crime news: बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले मोकामा एक बार फिर गोलियों की गूंज से हिल गया। गुरुवार (30 अक्टूबर) की दोपहर जन सुराज समर्थक और आरजेडी नेता दुलारचंद यादव (76) की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बताया जा रहा है कि वे जन सुराज प्रत्याशी पीयूष प्रियदर्शी के साथ प्रचार अभियान में शामिल थे, जब बसावनचक के पास दो गुटों के बीच हिंसक झड़प हो गई और देखते ही देखते गोलियां चलने लगीं।
इलाके में फैला तनाव, बाजार बंद — शव यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
घटना के बाद पूरे इलाके में अफरा-तफरी मच गई। रातभर यादव का शव घर पर ही रखा रहा। शुक्रवार सुबह उनकी अंतिम यात्रा में हजारों लोग शामिल हुए, जबकि पंडारक बाजार पूरी तरह बंद रहा। गुस्साए लोगों ने “अनंत सिंह को फांसी दो” के नारे लगाए। आरजेडी प्रत्याशी वीणा सिंह (सूरजभान सिंह की पत्नी) भी ट्रैक्टर पर सवार होकर शव यात्रा में शामिल हुईं। माहौल इतना तनावपूर्ण था कि भारी पुलिस बल की तैनाती करनी पड़ी।
जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह और परिवार पर हत्या का आरोप
परिवार के बयान पर भदौर थाना में जेडीयू प्रत्याशी अनंत सिंह, उनके भतीजे रणवीर और कर्मवीर सिंह, साथ ही छोटन सिंह और कंजय सिंह समेत कई अज्ञात लोगों पर हत्या की एफआईआर दर्ज की गई है।
पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है और कहा है कि वीडियो फुटेज और गवाहों के बयान के आधार पर कार्रवाई की जाएगी।
सामने आया वीडियो, गोलीबारी के दृश्य हुए वायरल
घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है, जिसमें मोकामा के घोसवरी इलाके में दोनों पक्षों के समर्थक गोली चलाते नजर आ रहे हैं। वीडियो में अफरातफरी, भागते लोग और क्षतिग्रस्त वाहन साफ़ देखे जा सकते हैं। बताया जाता है कि पीयूष प्रियदर्शी की गाड़ी भी इस दौरान निशाने पर आई और क्षतिग्रस्त हो गई।
हत्या से पहले दिया था विवादित बयान
सूत्रों के अनुसार, घटना से दो दिन पहले ही दुलारचंद यादव ने एक स्थानीय टीवी इंटरव्यू में अनंत सिंह की पत्नी और मोकामा की पूर्व सांसद नीलम देवी पर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि “नीलम देवी असली भूमिहार नहीं हैं, वो पहले नाचने जाती थीं और अनंत सिंह ने उन्हें रख लिया।” इस बयान के बाद राजनीतिक तापमान और बढ़ गया था।
अपराध की पृष्ठभूमि से राजनीति तक
दुलारचंद यादव का अतीत भी विवादों से भरा रहा है। 80 और 90 के दशक में उनका नाम अपहरण, रंगदारी और हत्या जैसे मामलों में चर्चित रहा। बाद में उन्होंने राजनीति की राह पकड़ी और लोकदल से चुनाव लड़ा, हालांकि अनंत सिंह के भाई दिलीप सिंह से मामूली अंतर से हार गए।
स्थानीय सूत्रों का कहना है कि हाल के दिनों में वे पीयूष प्रियदर्शी के साथ खड़े थे, जिससे पुराने समीकरण टूटने लगे। जिन जातियों का समर्थन पहले अनंत सिंह को मिलता था, वह अब जन सुराज के पक्ष में जा रहा था यही बदलाव इस हत्या की असली वजह माना जा रहा है।
सवाल कायम- राजनीति की रंजिश या बाहुबल की पुरानी दुश्मनी?
मोकामा अब एक बार फिर सवालों के घेरे में है क्या यह चुनावी टकराव का नतीजा है या बाहुबल की पुरानी दुश्मनी का खूनी अध्याय?
जवाब जो भी हो, मगर बिहार की सियासत ने एक बार फिर अपनी वही भयावह छवि दिखाई है, जहां बैलेट से ज्यादा बुलेट की गूंज सुनाई देती है।