फतुहा में कांवरियों से भरी नाव पलटी, पुनपुन नदी में दो लोग लापता

 

Patna: पटना जिले के फतुहा थाना क्षेत्र में कांवर यात्रा के दौरान एक बड़ी दुर्घटना हो गई। पुनपुन नदी में कांवरियों से भरी एक छोटी नाव पलट गई, जिससे दो लोग लापता हो गए। नाव में सवार सभी कांवरिए त्रिवेणी घाट से जल भरकर वाणा वर पहाड़ बाबा धाम जा रहे थे।

कैसे हुआ हादसा?

घटना शनिवार सुबह की बताई जा रही है। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार, दस से बारह कांवरिए एक छोटी नाव में सवार होकर पुनपुन नदी पार कर रहे थे। लेकिन नदी की तेज धारा और नाव पर अधिक भार के चलते नाव अनियंत्रित होकर पलट गई।


जैसे ही नाव पलटी, इलाके में अफरा-तफरी मच गई। स्थानीय नाविक और ग्रामीण तुरंत नदी की ओर दौड़ पड़े और बचाव कार्य शुरू किया। दस लोगों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया, लेकिन दो लोग – एक 20 वर्षीय युवक अभिषेक कुमार (निवासी: कराय परसुराय, नालंदा) और 10 वर्षीय मनीष कुमार (निवासी: समसपुर), तेज बहाव में बह गए।

प्रशासन की त्वरित कार्रवाई

घटना की सूचना मिलते ही फतुहा थाना प्रभारी राजू कुमार पुलिस बल के साथ मौके पर पहुंचे। साथ ही सीओ मुकेश कुमार, एसडीओ और अन्य प्रशासनिक अधिकारी भी घटनास्थल पर पहुंचे। एसडीआरएफ की टीम को बुलाया गया है जो लापता लोगों की तलाश में नदी में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रही है।

पहले भी बन चुका है हादसे का कारण यह रास्ता

गौरतलब है कि फतुहा के गोविंदपुर बाजार से समसपुर तक जाने वाला लोहे का पुल ढाई साल पहले टूट चुका है। इसके बाद से नदी पार करने के लिए अस्थायी पीपा पुल लगाया गया था, जिसे गंगा और पुनपुन नदी में जलस्तर बढ़ने के कारण 10 दिन पहले हटा दिया गया।


तब से गोविंदपुर और समसपुर के बीच दो छोटी नावों से आवागमन हो रहा है, जिनका उपयोग सैकड़ों कांवरिए कर रहे हैं। हादसे के वक्त भी एक ऐसी ही नाव पर करीब 12 कांवरिए सवार थे, जो संतुलन बिगड़ने के कारण पलट गई।

स्थानीय विधायक भी पहुंचे

घटना की जानकारी मिलते ही स्थानीय विधायक डॉ. रामानंद यादव भी घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने अधिकारियों से घटना की जानकारी ली और लापता लोगों की जल्द तलाश कराने का निर्देश दिया।

स्थिति अब भी गंभीर

रेस्क्यू ऑपरेशन जारी है। नदी की तेज धारा के कारण तलाशी में दिक्कतें आ रही हैं। स्थानीय लोग और प्रशासन मिलकर लापता कांवरियों को खोजने में जुटे हैं।

यह हादसा एक बार फिर यह सवाल उठाता है कि स्थायी पुल के अभाव में श्रद्धालु और ग्रामीण आज भी जान जोखिम में डालकर नदी पार करने को मजबूर हैं।