"मुझे इच्छामृत्यु दे दीजिए…" -कोर्ट में फूट-फूटकर रो पड़े RJD विधायक रीतलाल यादव
Patna: पटना सिविल कोर्ट का माहौल बुधवार को उस वक्त बेहद भावुक हो गया, जब राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के विधायक रीतलाल यादव ने जज के सामने हाथ जोड़कर इच्छामृत्यु की मांग कर डाली। पेशी के दौरान पूरा कोर्टरूम तब हैरान रह गया, जब वह कहते-कहते रो पड़े "हुजूर, मुझे मर जाने दीजिए... कोई मेरा नहीं है।" करीब 45 मिनट तक खड़े रहे, हाथ जोड़कर, बोलते रहे, लेकिन हर बात में झलक रहा था टूटता हुआ मन, अकेलापन और निराशा।
"मैं थक गया हूं..." -भावुक अपील में छलका दर्द
रीतलाल यादव इस वक्त भागलपुर सेंट्रल जेल में बंद हैं और बुधवार को एक मामले में पेशी के लिए कोर्ट लाए गए थे। सुनवाई के दौरान उन्होंने कहा: "मेरे खिलाफ एक के बाद एक केस दर्ज हो रहे हैं। कोई मेरी पैरवी करने वाला नहीं बचा है। मैं अब थक चुका हूं। मुझे वापस बेउर जेल भेज दीजिए, वहां कम से कम जान-पहचान वाले लोग तो हैं।"
जेल से भी जुड़ा विवाद, अदालत से लगाई कानूनी मदद की गुहार
RJD विधायक ने जज से कहा कि उन्हें कानूनी सहायता नहीं मिल रही और जेल में उन्हें पूरी तरह अलग कर दिया गया है। भागलपुर की हाई-सिक्योरिटी टी-सेल में रीतलाल को रखा गया है, जहां पहले कभी डॉन से नेता बने अनंत सिंह भी रह चुके हैं।
कई मामलों में घिरे हैं रीतलाल
विधायक ने 17 अप्रैल को दानापुर कोर्ट में सरेंडर किया था। उन पर एक बिल्डर से 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने का गंभीर आरोप है। इंटेलिजेंस इनपुट के अनुसार, पटना पुलिस ने रिपोर्ट दी है कि रीतलाल यादव जेल के अंदर से भी आपराधिक गतिविधियां चला सकते हैं। इसी कारण उन्हें बेउर से हटाकर भागलपुर भेजा गया।
पत्नी को लेकर भी विवाद, नौकरी पर सवाल
रीतलाल यादव की पत्नी रिंकू कुमारी, जो एक सरकारी स्कूल में संविदा शिक्षक हैं, अब खुद भी विवादों में हैं। ADG कुंदन कृष्णन ने शिक्षा विभाग को रिपोर्ट सौंपी है, जिसमें बताया गया है कि रिंकू कुमारी एक प्राइवेट कंस्ट्रक्शन कंपनी में बिजनेस पार्टनर के तौर पर काम कर रही हैं। जो एक सरकारी कर्मचारी के सेवा नियमों का स्पष्ट उल्लंघन है। सरकारी रिकॉर्ड के मुताबिक, रिंकू जुलाई 2006 से पटना के मुसहरी इलाके के एक प्राथमिक विद्यालय में तैनात हैं।
राजनीति, आरोप और टूटती हिम्मत
एक तरफ कानून के शिकंजे में फंसे RJD विधायक हैं, वहीं, दूसरी तरफ परिवार पर उठते सवाल। अब जब वे खुद कोर्ट में हाथ जोड़कर ‘मौत की इजाजत’ मांग रहे हैं, तो ये सिर्फ कानूनी मामला नहीं, एक टूटते हुए इंसान की पुकार भी बन गया है। अब देखना है कि अदालत और पार्टी नेतृत्व इस पूरी स्थिति को कैसे देखता है और क्या रीतलाल यादव को कानूनी राहत मिलेगी या उनकी लड़ाई और अकेली हो जाएगी।