ऑस्टियोपोरोसिस है हड्डी की गंभीर बीमारी, हड्डी क्यों हो जाती है टेढ़ी और कमज़ोर? कैसे बचें और क्या है इसका इलाज? जाने AIOR के मेडिकल डॉयरेक्टर डॉक्टर आशीष सिंह से 
 

 

ऑस्टियोपोरोसिस एक ऐसी बीमारी है जिसमें हड्डियां कमजोर हो जाती हैं। हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती हैं कि जरा सा चोट या झटका लगने पर टूट सकती हैं। अनुप इंस्टीट्यूट आफ ऑर्थोपेडिक्स एंड रिहैबिलिटेशन, कंकड़बाग पटना के मेडिकल डायरेक्टर और जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर आशीष सिंह का मानना है कि अगर अपनी जीवनशैली पर थोड़ा सा ध्यान दिया जाए तो इस बीमारी पर काफी हद तक काबू पाया जा सकता है। इससे बचने और इलाज के लिए क्या है उनका मशवरा?\

ओस्टियोपोरोसिस किस तरह की बीमारी है और यह हड्डियों पर कैसा असर डालती है?

ओस्टियो मतलब हड्डी और पोरोसिस यानी कि पोर्स बन जाना। अगर हम एक आम आदमी की भाषा में कहें तो इस बीमारी में हड्डियां बताशे की तरह कमजोर हो जाती हैं। यह आमतौर पर समय के साथ होता है। महिलाओं को पुरुषों से ज्यादा इस बीमारी के होने की संभावना होती है। महिलाओं को मेनोपॉज के बाद इस बीमारी के होने का ज्यादा चांस रहता है। बदलती जीवन शैली के कारण, व्यायाम नहीं होने के कारण, जंक फूड खाने के कारण लोगों में कैल्शियम और विटामिन डी की कमी हो रही है और इसी कारण से ऑस्टियोपोरोसिस होता है। जंक फूड इसलिए बड़ा कारण है क्योंकि हमें हमेशा एक बैलेंस डाइट लेना चाहिए। बैलेंस डाइट में सही मात्रा में कैल्शियम, मिनरल्स, आयरन, विटामिन B2 लेना होता है। लेकिन जंक फूड लाइफस्टाइल में शामिल हो गया है।  इसके अलावा ज्यादातर वक्त हम लोग कार या बाइक से घूमते हैं, पैदल बहुत कम चलते हैं जिससे हड्डियों में कमजोरी होने लगती है।


 अगर ऑस्टियोपोरोसिस बीमारी हो गई है तो इसे कैसे पहचानते हैं और इसकी जांच कैसे हो सकती है?

ओस्टियोपोरोसिस अगर हो जाए तो उसका एक कॉमन लक्षण होता है, पूरे शरीर में दर्द होता है यानी की कमर में दर्द, कंधे में दर्द होता है। लोग आमतौर पर इसे गठिया समझ लेते हैं। इसकी डायग्नोसिस की जाती है, ओस्टियोपोरोसिस का टेस्ट होता है तो यह सामने आ जाता है। यानी पूरे शरीर के जोड़ों में दर्द हो रहा हो तो इसका कारण गठिया के साथ ऑस्टियोपोरोसिस भी हो सकता है।


 अगर ओस्टियोपोरोसिस हो गया तो क्या हड्डियां मुड़ जाती हैं या जरा सा भी झटका लगने पर हड्डियां फ्रैक्चर हो जाती हैं? इसके बारे में बताएं 


 आमतौर पर ओस्टियोपोरोसिस होने के बाद हमारे शरीर में हड्डियों का ढांचा होता है वह कमजोर हो जाता है। हड्डी अंदर से कमजोर हो जाती है। जिसके कारण थोड़ा सा भी चोट लगने पर या कुर्सी से भी गिरने पर हड्डी टूट जाती है। टेबल के कोने से भी चोट लगने पर हड्डियां टूट जाती हैं। बाइक का जर्क लगने पर रीढ़ की हड्डी में परेशानी हो जाती है। हड्डियां इतनी कमजोर हो जाती है।


अगर ऑस्टियोपोरोसिस हो गया तो इसका इलाज क्या है?


ओस्टियोपोरोसिस का इलाज है। इसका सबसे पहला चरण है सही डायग्नोसिस होना। इसकी डायग्नोसिस के लिए एक विशेष प्रकार की मशीन होती है जिसे डेक्सा स्कैन कहते हैं। यानी एक अलग प्रकार का एक्स-रे। यह सुविधा अनूप इंस्टिट्यूट ऑफ ऑर्थोपेडिक एंड रिहैबिलिटेशन, पटना में उपलब्ध है। क्योंकि हमारा संस्थान ऑर्थोपेडिक के क्षेत्र में पूर्वोत्तर भारत और बिहार में सबसे उन्नत संस्थान है। डेक्सा स्कैन करने के बाद डब्ल्यूएचओ के द्वारा एक क्राइटेरिया तैयार किया गया है। जिसे हम लोग फॉलो करते हैं। डेक्सा स्कैन का स्कोर अगर -2.5 के नीचे चला गया तो ऑस्टियोपोरोसिस मान लिया जाता है। इसके साथ ही हम लोग विटामिन डी का भी लेवल देखते हैं। उसके बाद पूरे तरीके से ट्रीटमेंट की जाती है। इसमें इंजेक्शन के द्वारा, नाक में स्प्रे के द्वारा इलाज किया जाता है। साथ ही मरीज को यह भी समझाया जाता है कि धूप का सेवन करें तथा दूध, या दूध से बने पदार्थ का सेवन करें। इसके साथ ही दवाइयां भी चलती रहती हैं। जरूरत पड़े तो इंजेक्शन भी दिया जाता है। आज की तारीख में ओस्टियोपोरोसिस का बेहतर ट्रीटमेंट उपलब्ध है।

क्या इस बीमारी का उम्र के साथ भी कोई विशेष संबंध है?


किसी को गठिया है या कोई अन्य बीमारी है जोकि हड्डी से जुड़ी हुई है या फिर कैंसर है तो हड्डियां कमजोर होने लगती है। आमतौर पर उम्र के साथ हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। लेकिन अगर आप एक्टिव हैं। नियमित रूप से व्यायाम कर रहे हैं। नियमित रूप से खानपान पर ध्यान दे रहे हैं। वजन को कंट्रोल में रखे हुए हैं तो ओस्टियोपोरोसिस होने की संभावना कम रहती है। 


ऑस्टियोपोरोसिस न हो इसके लिए क्या किया जा सकता है? 

अगर हम एक्टिव लाइफ स्टाइल पर ध्यान दें, यानी दिन में कम से कम 20 मिनट एक्सरसाइज करें। इससे मसल्स मजबूत रहेंगे साथ ही हड्डियों में मजबूती आएगी। दूसरा यह कि व्यवस्थित रूप से खानपान पर ध्यान दें। उसमें सुधार करें। अपने भोजन में दूध, दही, छेना का सेवन करें। साथ ही धूप का भी सेवन करें। तीसरी सबसे अहम बात महिलाओं के लिए है। अगर आपका मेनोपॉज की उम्र है और ये लक्षण है तो तुरंत किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से संपर्क करें। क्योंकि वक्त पर डायग्नोसिस होने से जल्दी और बेहतर इलाज हो सकता है। अगर 40 साल से ज्यादा की उम्र हो रही है तो हर 2 साल पर डेक्सा स्कैन जरूर करवाएं।

क्या ओस्टयोपोरोसिस का पूरी तरीके से इलाज संभव है?

हमारा शरीर एक लिविंग ऑर्गेनाइज्म है। यानी डी जनरेशन भी चलता है और रि जनरेशन भी चलता है। यानी जिस तरीके से टूट रहा है उसी तरीके से बनता भी है। लेकिन उम्र के साथ हम लोगों का डी जेनरेटिंग प्रोसेस थोड़ा हावी हो जाता है और हम लोग की री जेनरेटिव प्रोसेस स्लो हो जाती है। लेकिन आज की तारीख में सही डायग्नोसिस, सही तरीके से दवाइयां और समझाने से मरीज को इलाज हो सकता है। ध्यान देने वाली बात है कि केवल कैल्शियम इलाज नहीं है। इसके लिए मल्टीमॉडलिटी ट्रीटमेंट बहुत जरूरी है। अगर हम ट्रीटमेंट नहीं कराते हैं या ओस्टियोपोरोसिस बहुत ज्यादा बढ़ गया है तो फै्रक्चर्स के अलावा बाद में ऑपरेशन की जरूरत पड़ सकती है। मेरे ख्याल से अगर कोई भी फिट रहेगा तो ही हिट रहेगा।