BJP, JMM और JLKM के बीच त्रिकोणीय मुकाबला...देखना, दिलचस्प होगा किसकी होगी जीत और किसकी होगी हार
Jharkhand Desk: पूर्वी सिंहभूम जिले की घाटशिला विधानसभा सीट पर होने वाला उपचुनाव त्रिकोणीय हो गया है. सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के साथ-साथ जयराम कुमार महतो के नेतृत्व वाली झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) ने भी अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं, जिससे मुकाबला दिलचस्प हो गया है.
यह उपचुनाव झामुमो विधायक और राज्य के शिक्षा मंत्री रहे रामदास सोरेन के निधन के कारण हो रहा है. मतदान 11 नवंबर को होगा और वोटों की गिनती 14 नवंबर को होगी.
जेएलकेएम ने रामदास मुर्मू पर भरोसा जताया है, जो 2024 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर तीसरे स्थान पर रहे थे और उन्हें केवल 8092 वोट हासिल हुए थे। वहीं, भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन को मैदान में उतारा है, जबकि झामुमो ने पूर्व शिक्षा मंत्री रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन को टिकट दिया है। घाटशिला सीट अगस्त में विधायक रामदास सोरेन के निधन के बाद खाली हो गई थी। इस सीट पर उपचुनाव के लिए मतदान 11 नवंबर को होगा। जेएलकेएम उम्मीदवार रामदास मुर्मू ने कहा कि वह पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष जयराम कुमार महतो की मौजूदगी में 21 अक्टूबर को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। जयराम को टाइगर महतो के नाम से भी जाना जाता है। कहा जाता है कि जेएलकेएम ने 2024 के विधानसभा चुनावों में झारखंड के बोकारो, रामगढ़, गोमिया, धनबाद और गिरिडीह क्षेत्र में कई सीटों पर राजग और अन्य गठबंधनों का खेल बिगाड़ने में अहम भूमिका निभाई थी।
विरासत और प्रतिष्ठा की लड़ाई
इस उपचुनाव में दो प्रमुख राजनीतिक परिवारों की अगली पीढ़ी आमने-सामने है। झामुमो ने दिवंगत विधायक रामदास सोरेन के बेटे सोमेश सोरेन को मैदान में उतारा है, तो वहीं भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबूलाल सोरेन पर एक बार फिर दांव लगाया है।
सोमेश जहां अपने पिता की राजनीतिक विरासत को बचाने की कोशिश करेंगे, वहीं बाबूलाल 2024 के विधानसभा चुनाव में मिली हार का बदला लेना चाहेंगे। उस चुनाव में रामदास सोरेन ने बाबूलाल सोरेन को लगभग 22,000 मतों से हराया था।
जेएलकेएम की मौजूदगी से बदले समीकरण
जयराम महतो की पार्टी जेएलकेएम ने रामदास मुर्मू को अपना उम्मीदवार बनाकर मुकाबले को और भी रोचक बना दिया है। जेएलकेएम ने 2024 के विधानसभा चुनावों में कई सीटों पर राष्ट्रीय गठबंधनों का खेल बिगाड़ा था।
खासकर बोकारो, रामगढ़, गोमिया, धनबाद और गिरिडीह क्षेत्र में। रामदास मुर्मू 2024 के चुनाव में भी इस सीट से तीसरे स्थान पर रहे थे। पार्टी का दावा है कि इस बार भी वह पूरी ताकत से चुनाव लड़ेगी।
स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा
जेएलकेएम उम्मीदवार रामदास मुर्मू ने स्थानीय बनाम बाहरी का मुद्दा उठाया है। उनका कहना है कि घाटशिला को एक स्थानीय व्यक्ति की जरूरत है, जो यहां के लोगों की समस्याओं को समझ सके और उनका समाधान कर सके।
मुर्मू घाटशिला अनुमंडल के ही रहने वाले हैं, जबकि भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन सरायकेला-खरसावां जिले से और झामुमो के सोमेश सोरेन जमशेदपुर के रहने वाले बताए जा रहे हैं। भौतिकी में स्नातकोत्तर और बीएड की डिग्री रखने वाले मुर्मू घाटशिला में एक कोचिंग सेंटर चलाते हैं।
नामांकन प्रक्रिया और चुनाव प्रचार
उपचुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की आखिरी तारीख 21 अक्टूबर है। झामुमो उम्मीदवार सोमेश सोरेन और भाजपा उम्मीदवार बाबूलाल सोरेन ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया है। नामांकन के दौरान दोनों दलों ने शक्ति प्रदर्शन किया।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन खुद सोमेश सोरेन के नामांकन के समय मौजूद थे, वहीं बाबूलाल सोरेन के साथ पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और आजसू पार्टी प्रमुख सुदेश महतो समेत एनडीए के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। दोनों ही पार्टियां चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक रही हैं।
झामुमो ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन समेत 40 स्टार प्रचारकों की सूची जारी की है। यह उपचुनाव न केवल घाटशिला विधानसभा क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि इसके नतीजे राज्य की राजनीति पर भी असर डाल सकते हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किस पर अपना भरोसा जताती है।