Aaj ka Itihaas: 31 अक्टूबर का ऐतिहासिक महत्व: राष्ट्रीय एकता का दिन और भारत के लिए विनाश का दिन 

Aaj ka Itihaas: 31 अक्टूबर का दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में राष्ट्रीय एकता के जश्न और गहरे राजनीतिक बलिदान के निशान के रूप में दर्ज है. यह तारीख दो विपरीत ध्रुवों पर खड़ी है: एक ओर लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म, जिनकी विरासत देश के एकीकरण का प्रतीक है और दूसरी ओर देश की चौथी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दुखद हत्या, जिसने भारतीय राजनीति को झकझोर कर रख दिया था.
 

Aaj ka Itihaas: 31 अक्टूबर का दिन भारतीय इतिहास के पन्नों में राष्ट्रीय एकता के जश्न और गहरे राजनीतिक बलिदान के निशान के रूप में दर्ज है. यह तारीख दो विपरीत ध्रुवों पर खड़ी है: एक ओर लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म, जिनकी विरासत देश के एकीकरण का प्रतीक है और दूसरी ओर देश की चौथी प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की दुखद हत्या, जिसने भारतीय राजनीति को झकझोर कर रख दिया था. हर साल, यह दिन राष्ट्र को उसकी मजबूत नींव और संभावित खतरों दोनों की याद दिलाता है.

आज 31 अक्टूबर 2025 को भारत के पहले उप-प्रधानमंत्री और 'लौहपुरुष' सरदार वल्लभ भाई पटेल की 150वीं जयंती मनाई जा रही है. आज का दिन राष्ट्रीय एकता दिवस यानी नेशनल यूनिटी डे  के रूप में भी मनाया जाता है. बता दें कि सरदार पटेल एक ऐसे नेता थे जिन्होंने केवल अपनी इच्छाशक्ति और राजनीतिक बुद्धि के बल पर 562 रियासतों को एकजुट कर भारत को टूटने से बचाया था. यही कारण है कि उनके मजबूत नेतृत्व की वजह से उन्हें लौहपुरुष भी कहा गया. इसी कड़ी में आज हम आपको उनसे जुड़ी कुछ रोचक बातें जानेंगे और साथ ही ये भी बताएंगे कि उन्हें 'सरदार' की उपाधि कैसे मिली.

कैसे मिली 'सरदार' की उपाधि?

जब सरदार वल्लभभाई पटेल महात्मा गांधी जी के साथ जुड़े थे तो उनका पूरा जीवन ही बदल गया था. वे गांधी जी के विचारों से इतने प्रभावित हो गए थे कि उन्होंने अपना सारा जीवन देश सेवा के लिए समर्पित कर दिया था. सरदार वल्लभभाई पटेल ने देश की स्वतंत्रता की लड़ाई में जनता को एकजुट किया था और ब्रिटिश शासन के खिलाफ एकता का संदेश लोगों के बीच फैलाया था. इसके अलावा उन्होंने अहमदाबाद किसान आंदोलन और 1928 में बारडोली सत्याग्रह का एकदम सफल नेतृत्व किया था जिसके बाद उन्हें'सरदार' की उपाधि मिली थी. 

सरदार वल्लभभाई पटेल का असली नाम क्या था?

सरदार वल्लभभाई पटेल का असली नाम वल्लभभाई झावेरभाई पटेल था. उनका जन्म 31 अक्टूबर 1875 को गुजरात के नडियाद में हुआ था.

सरदार वल्लभभाई पटेल भारत के प्रथम कौन थे?

स्वतंत्रता मिलने के बाद सरदार वल्लभभाई पटेल देश के पहले गृहमंत्री और उपप्रधानमंत्री बने थे. उन्होंने कड़े संघर्ष के बाद हैदराबाद, जूनागढ़ और कश्मीर जैसी 562 रियासतों को जोड़कर देश को अखंड भारत बनाया था. इसी के बाद उन्हें 'Iron Man of India' की उपाधि मिली थी. 

राजनीतिक त्रासदी: इंदिरा गांधी की हत्या (निधन 1984)

31 अक्टूबर का दिन भारतीय और विश्व इतिहास में कई विशाल व्यक्तित्वों के जन्म और महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं के लिए जाना जाता है. यह तारीख एक ओर जहाँ राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में देश के एकीकरण के शिल्पकार को श्रद्धांजलि देती है, वहीं दूसरी ओर देश की एक सशक्त प्रधानमंत्री की दुखद हत्या का काला अध्याय भी समेटे हुए है.

ऑपरेशन ब्लू स्टार और प्रतिशोध

उनकी हत्या के पीछे मुख्य कारण जून 1984 में अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में किए गए 'ऑपरेशन ब्लू स्टार' का आदेश देना था. यह सैन्य कार्रवाई खालिस्तानी अलगाववादी नेता जरनैल सिंह भिंडरावाले और उनके समर्थकों को मंदिर परिसर से निकालने के लिए की गई थी, जिसने सिख समुदाय की भावनाओं को गहरा आघात पहुँचाया था.



घटनाक्रम: सुबह 9:30 बजे, जब इंदिरा गांधी एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता को इंटरव्यू देने के लिए अपने घर से बाहर आईं, तब बेअंत सिंह ने उन पर अपनी रिवॉल्वर से गोली चलाई और सतवंत सिंह ने मशीनगन से कई राउंड फायर किए.

परिणाम: इस दुखद घटना के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे, विशेषकर दिल्ली में, जिसमें हजारों निर्दोष लोगों की जान गई और एक गहरा सामाजिक घाव बन गया. उनकी मृत्यु के बाद, उनके पुत्र राजीव गांधी ने देश के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला.


वैश्विक इतिहास के महत्वपूर्ण मोड़

31 अक्टूबर की तारीख विश्व इतिहास में भी कई दूरगामी परिवर्तनों की शुरुआत का दिन है:
 

  • प्रोटेस्टेंट सुधार (1517): जर्मन धर्मशास्त्री मार्टिन लूथर ने विटेनवर्ग चर्च के द्वार पर अपनी 95 आपत्तियाँ (95 Theses) चिपकाकर रोमन कैथोलिक चर्च की प्रथाओं पर सवाल उठाए। इस घटना को प्रोटेस्टेंट सुधार (Protestant Reformation) का आरंभ बिंदु माना जाता है, जिसने ईसाई धर्म को कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट संप्रदायों में विभाजित कर दिया और यूरोप के सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक परिदृश्य को हमेशा के लिए बदल दिया.
  • माउंट रशमोर का समापन (1941): दक्षिण डकोटा में अमेरिका के चार राष्ट्रपतियों जॉर्ज वॉशिंगटन, थॉमस जेफरसन, थियोडोर रूजवेल्ट और अब्राहम लिंकन के चेहरों वाली विशालकाय मूर्तिकला, माउंट रशमोर नेशनल मेमोरियल, का निर्माण कार्य पूरा हुआ.
  • स्वेज संकट (1956): स्वेज नहर संकट के दौरान, ब्रिटेन और फ्रांस ने मिस्र पर बमबारी शुरू कर दी थी, जो एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक संघर्ष था जिसने वैश्विक शक्तियों के संतुलन को प्रभावित किया.
  • अन्य प्रसिद्ध निधन: 31 अक्टूबर को भारत की प्रसिद्ध कवयित्री और उपन्यासकार अमृता प्रीतम (2005) और प्रसिद्ध संगीतकार सचिन देव बर्मन (1975) का भी निधन हुआ था.

सरदार के अनमोल विचार

  • भले ही हम हजारों की संपत्ति खो दें, और हमारा जीवन बलिदान हो जाए, हमें मुस्कुराते रहना चाहिए और ईश्वर और सत्य में अपना विश्वास बनाए रखना चाहिए.
  • संस्कृति समझ-बूझकर शांति पर रची गई है. मरना होगा तो वे अपने पापों से मरेंगे. जो काम प्रेम, शांति से होता है, वह वैरभाव से नहीं होता.
  • हमें अपने देश की स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए उतनी ही मेहनत करनी होगी, जितनी उसे पाने के लिए की थी.
  • जब जनता एक हो जाती है, तब उसके सामने क्रूर से क्रूर शासन भी नहीं टिक सकता. अतः जात-पांत के ऊंच-नीच के भेदभाव को भुलाकर सब एक हो जाइए.
  • मनुष्य को ठंडा रहना चाहिए, क्रोध नहीं करना चाहिए. लोहा भले ही गर्म हो जाए, हथौड़े को तो ठंडा ही रहना चाहिए अन्यथा वह स्वयं अपना हत्था जला डालेगा.