प्रदेश में पहली बार बनेगी बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट, सीएमसी वेल्लोर करेगा सहयोग
Ranchi: आयुष्मान भारत योजना के लिए देश के सर्वश्रेष्ठ सदर अस्पतालों में शुमार हो चुका रांची का सदर अस्पताल एक और इतिहास बनाने की ओर बढ़ गया है. देश का यह पहला ऐसा सदर अस्पताल बनने की ओर अग्रसर है जहां 'बोन मैरो ट्रांसप्लांट' की सुविधा उपलब्ध होगी. कैबिनेट द्वारा सदर अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू करने का प्रस्ताव पारित होने के बाद इसके लिए जरूरी संसाधन निर्माण के लिए साढ़े छह करोड़ रुपया भी जारी किया जा चुका है.
रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक और पैथोलॉजी विभाग के हेड डॉ. बिमलेश कुमार सिंह ने कहा कि सदर अस्पताल में 'बोन मैरो ट्रांसप्लांट यूनिट' अलग होगा और इसे सदर अस्पताल की नई बिल्डिंग के आठवें तल्ले पर बनाया जाएगा. यह बिल्कुल अत्याधुनिक संसाधनों से युक्त होगा.
जल्द सरकार डॉक्टरों को नियुक्त करेगी
डॉ. बिमलेश कुमार सिंह ने बताया कि रांची सदर अस्पताल में शुरू होने वाले 'बोन मैरो ट्रांसप्लांट' के लिए एक डॉक्टर उपलब्ध है, सरकार जल्द ही अन्य डॉक्टरों की नियुक्ति करेगी. उन्होंने बताया कि रांची सदर अस्पताल में शुरू होने वाले बोन मैरो ट्रांसप्लांट को विशेषज्ञ एवं तकनीकी सहयोग सीएमसी वेल्लोर की ओर से दिया जायेगा. उन्होंने बताया कि इस सहयोग के लिए सीएमसी वेल्लोर से सहमति भी मिली हुई है.
झारखंड में बड़ी संख्या में रक्त से जुड़ी अनुवांशिक बीमारियां जैसे थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया (Sickle Cell Anemia) के मरीज हैं. अलग-अलग तरह के रक्त कैंसर (Blood Cancer) से जूझ रहे रोगियों की भी काफी संख्या है. इन गंभीर बीमारियों के इलाज में बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone marrow transplant) काफी कारगर भूमिका निभाता है. लेकिन वर्तमान समय में झारखंड ही नहीं बल्कि आसपास के राज्यों के सरकारी अस्पतालों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट(BMT) की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
इस वजह से झारखंड के ब्लड कैंसर और ब्लड से जुड़ी अनुवांशिक बीमारियों (Genetic Blood Disease Disorder) के इलाज के लिए जब बोन मैरो ट्रांसप्लांट की बात होती है तो इलाज के लिए मरीज को वेल्लोर, मुम्बई, दिल्ली या फिर हैदराबाद जैसे बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता है और इसमें काफी अधिक पैसे भी खर्च करने पड़ते हैं. रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक डॉ. बिमलेश सिंह कहते हैं कि बाहर में 'बोन मैरो ट्रांसप्लांट' कराने का खर्च 16 से 20 लाख के करीब है, जो आम आदमी के कंट्रोल में नहीं होता है.
उन्होंने कहा कि जब यह सुविधा रांची सदर अस्पताल में शुरू हो जाएगी तो इसका खर्च भी काफी कम हो जाएगा और सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया, अप्लास्टिक एनीमिया एवं कई अन्य तरह के बीमारियों से जूझ रहे मरीजों और उनके परिजनों को राहत मिलेगी.
रांची के सिविल सर्जन डॉ. प्रभात कुमार ने कहा कि रांची सदर अस्पताल में 'बोन मैरो ट्रांसप्लांट' की सुविधा जल्द शुरू की जाएगी, इसके लिए देश के कुछ बड़े डॉक्टर्स तैयार भी हैं और सीएमसी वेल्लोर के विशेषज्ञ डॉक्टर्स ने सहमति भी दे दी है.
वहां के डॉक्टर रांची आकर मरीजों का बीएमटी (Bone Marrow Transplant) कर देंगे और बाकी देखभाल स्थानीय स्तर पर हो जाएगा. रांची सदर अस्पताल के उपाधीक्षक ने बताया कि जनवरी से बोन मैरो ट्रांसप्लांट वार्ड, ओटी बनाने का काम शुरू हो जाएगा और 2026 में ही बोन मैरो ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएगा.
सिविल सर्जन ने कहा कि अभी राज्य के मरीजों को 'बोन मैरो ट्रांसप्लांट' के लिए चेन्नई और दूसरे बड़े शहरों की ओर रुख करना पड़ता है जो खर्चीला होने के साथ-साथ मरीजों और उनके परिजनों को परेशान करने वाला होता है. उन्होंने कहा कि बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए ऑपरेशन थिएटर की तरह ही वार्ड बनाना होगा और अस्पताल की नर्सों को विशेष ट्रेनिंग देनी होगी.
रांची सदर अस्पताल में बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सुविधा शुरू करने की ओर बढ़ते कदम पर खुशी जताते हुए उपाधीक्षक डॉ. बिमलेश कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में बड़ी संख्या अनुवांशिक रक्त विकार जैसे सिकल सेल एनीमिया, थैलसीमिया के रोगियों की है, अगर 5 वर्ष तक के उम्र के थैलेसीमिक बच्चों का बोन ट्रांसप्लांट हो जाये तो उस बच्चे के पूर्ण रूप से स्वस्थ हो जाने की संभावना 50 से 60% तक हो जाती है. डॉ. बिमलेश सिंह ने बताया कि ल्यूकेमिया यानि कई तरह के ब्लड कैंसर के इलाज में भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट उपयोगी होता है.
बीमारियां जिनमें BMT उपयोगी हो सकता है
- कैंसर से जुड़ी बीमारियां
ल्यूकेमिया (Leukemia): ब्लड कैंसर के कई प्रकारों में BMT जरूरी होता है.
- लिम्फोमा (Lymphoma): Hodgkin और Non-Hodgkin lymphoma के एडवांस केसों में बोन मैरो ट्रांसप्लांट बेहद लाभकारी है. खासकर वे बीमारियां जो बोन मैरो को प्रभावित करती हैं या जहां स्वस्थ रक्त कोशिकाएं नहीं बन पा रही होती हैं.
- डॉ. बिमलेश सिंह बताते हैं कि मायलोमा (Multiple Myeloma), प्लाज्मा कोशिकाओं से संबंधित कैंसर में भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट कारगर होता है.
- सदर अस्पताल उपाधीक्षक ने बताया कि रक्त से जुड़ी अनुवांशिक बीमारियों जैसे थैलेसीमिया, सिकल सेल एनीमिया में भी बोन मैरो ट्रांसप्लांट कारगर होता है. इसके अलावा भी कई अन्य गंभीर बीमारियों के इलाज में डॉक्टर्स बोन मैरो ट्रांसप्लांट की सलाह देते हैं.