पलामू में मनरेगा में अनियमितताओं पर एक करोड़ से अधिक का जुर्माना, अधिकारी व जनप्रतिनिधि नहीं दे रहे ध्यान

 

पलामू जिले में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के संचालन में लापरवाही को लेकर लगाए गए जुर्माने को लेकर अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों की गंभीरता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। वर्ष 2022 से अब तक जिले में मनरेगा नियमों के उल्लंघन पर एक करोड़ रुपये से अधिक का जुर्माना लगाया जा चुका है, लेकिन इस राशि की वसूली अब भी अधर में लटकी हुई है।

लोकपाल स्तर से लगाए जाने वाले इस जुर्माने की न्यूनतम राशि ₹1000 तय है। यह दंड उन मामलों में लगाया जाता है, जहां योजना के क्रियान्वयन में गड़बड़ियां सामने आती हैं।

पलामू के 21 प्रखंडों में मनरेगा के कार्यों की जांच में कई गड़बड़ियां सामने आई थीं, जिसके आधार पर प्रखंड विकास पदाधिकारी (BDO), बीपीओ (ब्लॉक प्रोग्राम ऑफिसर), कनिष्ठ अभियंता (JE), पंचायत सचिव, रोजगार सेवक और मुखिया जैसे अधिकारियों और कर्मियों पर जुर्माना लगाया गया।

मनरेगा लोकपाल शंकर कुमार के अनुसार, सबसे अधिक जुर्माने के मामले पाटन प्रखंड से सामने आए हैं, जहां लगभग 200 मामलों में दंड लगाया गया है।

इस विषय पर पलामू के उप विकास आयुक्त ने 7 जुलाई को सभी प्रखंड विकास पदाधिकारियों को पत्र जारी किया है। पत्र में स्पष्ट किया गया है कि वर्ष 2022-23 से संबंधित जुर्माना वसूली की प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है, जबकि यह राशि BDO स्तर से वसूल की जानी थी। सभी बीडीओ को निर्देश दिया गया है कि वे जल्द से जल्द जुर्माना वसूल कर संबंधित कोष में जमा कराएं।

लोकपाल शंकर कुमार ने बताया कि वसूली गई राशि जिला उपायुक्त (DC) को प्रेषित की जाती है और साथ ही दोषियों के खिलाफ कार्रवाई भी होती रही है। मनरेगा में नियमों की अनदेखी पर पहले भी कई बार अनुशासनात्मक कदम उठाए जा चुके हैं।

यह मामला इस ओर इशारा करता है कि सरकारी योजनाओं में जवाबदेही की भारी कमी है। जब तक जुर्माना लगाने के बाद उसकी वसूली नहीं होती, तब तक अनुशासनहीनता पर लगाम लगाना मुश्किल होगा।