झारखंड हिंदी साहित्य संस्कृति मंच ने फादर क़ामिल बुल्के की जयंती पर आयोजित किया काव्यार्पण

 

झारखंड हिंदी साहित्य साहित्य संस्कृति मंच के तत्वावधान फादर क़ामिल बुल्के जयंती पर एक काव्यार्पण आयोजित किया गया । गीता चौबे 'गूंज' ने माँ सरस्वती की वंदना से कार्यक्रम की शुभारंभ की। अर्पणा सिंह ने सभी अतिथियों को संबोधित करते हुए स्वागत भाषण दिया। "जीना चाहता हूँ मरने के बाद" फाउन्डेशन के संस्थापक अध्यक्ष राशदादा रास कार्यक्रम के मुख्य अतिथि रहे। जिन्होंने फादर क़ामिल बुल्के के जीवन दर्शन पर विस्तृत एवं सारगर्भित व्याख्यान दिया। मंच संरक्षक विनय सरावगी की संरक्षण में मंच दिनोंदिन साहित्य जगत में बढ़ रहा है। मंच उपाध्यक्ष एवं कार्यक्रम अध्यक्ष  निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव ने  फादर बुल्के के रामकथा पर शोध योगदान एवं विशेष रूप से हिंदी भाषा के उत्थान एवं प्रचार पर अतिप्रेरणाप्रद संभाषण दिया। मंच की कार्यक्रम संयोजिका ओज कवयित्री ममता मनीष सिन्हा ने शानदार संचालन किया। अनेक कवि-कवयित्रियों ने अपनी रचनाओं से इस कार्यक्रम में चार चांद लगा दिया। मंच सचिव विनोद सिंह गहरवार, प्रसिद्ध शायर हिमकर श्याम, डॉ शिवनंदन प्रसाद सिन्हा, वरिष्ठ लेखिका अनिता रश्मि, मंच कोषाध्यक्ष श्रीकृष्णा विश्वकर्मा बादल,मंच कार्यक्रम संयोजक ममता मनीष सिन्हा, मंच मीडिया प्रभारी ऋतुराज वर्षा, अर्पणा सिंह, गीता चौबे ''गूंज', घटा गिरी, अजित प्रसाद, राजश्री जयंती, गीता सिन्हा गीतांजली, डॉ एनके पाठक निराला, कल्याणी झा 'कनक', राज़ रामगढ़ी, रीना गुप्ता, मंजू सिन्हा, शिवचंद्र प्रसाद आदि प्रमुख हैं। अंत में अध्यक्ष एवं मंच उपाध्यक्ष निरंजन प्रसाद श्रीवास्तव के अध्यक्षीय भाषण तथा मंच संयुक्त सचिव वैधनाथ मिश्र के धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ।