कमाई में नंबर-1, तरक्की की लिस्ट से बाहर! रेल मंत्रालय ने धनबाद को फिर किया नजरअंदाज़
Dhanbad News: देश के रेलवे खजाने को हर साल हजारों करोड़ रुपये देने वाला धनबाद एक बार फिर उपेक्षा का शिकार हो गया है। रेल मंत्रालय ने जिन 48 शहरों के स्टेशनों को अगले पांच वर्षों में ट्रेनों की संख्या दोगुनी करने के लिए चुना है, उसमें धनबाद का नाम नदारद है। शुक्रवार शाम जारी इस सूची ने धनबादवासियों को चौंका दिया, क्योंकि आमदनी के मामले में शीर्ष पर रहने के बावजूद शहर को विकास की दौड़ से बाहर कर दिया गया।
रेल मंत्रालय की सूची में झारखंड से रांची और टाटानगर को जगह मिली है, जबकि बिहार के पटना, मुजफ्फरपुर, गया, भागलपुर और दरभंगा भी चयनित स्टेशनों में शामिल हैं। पड़ोसी राज्य पश्चिम बंगाल से कोलकाता का नाम भी इस सूची में है। ऐसे में धनबाद को बाहर रखे जाने से रेलवे की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं।
धनबाद डिवीजन हर साल करीब 26 हजार करोड़ रुपये का राजस्व अर्जित करता है और भारतीय रेलवे की कुल कमाई में लगभग 10 प्रतिशत का योगदान देता है। इसके बावजूद धनबाद से लंबी दूरी की महज दो ट्रेनें ही चलती हैं। बाकी ट्रेनें या तो लोकल हैं या फिर आसपास के शहरों तक सीमित हैं। इतने बड़े और व्यस्त स्टेशन के लिए यह स्थिति धनबादवासियों को नागवार गुजर रही है।
रेल मंत्रालय जिन स्टेशनों को क्षमता विस्तार की सूची में शामिल कर रहा है, वहां प्लेटफॉर्म बढ़ाने, नए टर्मिनल बनाने, मेगा कोचिंग कॉम्पलेक्स, पिट लाइन, शंटिंग सुविधा, सिग्नलिंग अपग्रेड और मल्टीट्रैकिंग जैसे बड़े प्रोजेक्ट प्रस्तावित हैं। लक्ष्य है कि वर्ष 2030 तक इन स्टेशनों से ट्रेनों का संचालन दोगुना हो जाए। लेकिन इस विकास की तस्वीर में धनबाद कहीं नजर नहीं आता।
रेल मंत्रालय के फैसले के खिलाफ झारखंड रेल यूजर्स एसोसिएशन ने सोशल मीडिया पर अभियान शुरू कर दिया है। आम लोग भी इस मुहिम में शामिल हो रहे हैं और धनबाद के साथ हो रहे भेदभाव पर सवाल उठा रहे हैं।
इधर, आद्रा रेल मंडल में मरम्मत कार्य के कारण धनबाद होकर चलने वाली कई मेमू ट्रेनों के परिचालन में कटौती की गई है, जिससे यात्रियों की परेशानी और बढ़ गई है। इन हालातों ने धनबादवासियों के गुस्से को और भड़का दिया है।
अब सवाल साफ है-जब कमाई में धनबाद अव्वल है, तो विकास की सूची से उसे बाहर क्यों रखा गया?
यही सवाल आज हर धनबादवासी रेलवे से पूछ रहा है।