झारखंड में जल्द शुरू होगी 'राह-वीर' योजना, सड़क हादसों में जान बचाने वालों को मिलेगा नकद इनाम और सम्मान

 
झारखंड में जल्द शुरू होगी 'राह-वीर' योजना, सड़क हादसों में जान बचाने वालों को मिलेगा नकद इनाम और सम्मान
अक्सर देखा गया है कि सड़क दुर्घटनाओं में गंभीर रूप से घायल लोगों की मौत इसलिए हो जाती है क्योंकि उन्हें समय पर इलाज नहीं मिल पाता। इन्हीं परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने 'राह-वीर' नामक एक नई योजना की शुरुआत की है। इस योजना का उद्देश्य दुर्घटना के तुरंत बाद मदद करने वालों को सम्मानित कर लोगों को प्रोत्साहित करना है।
गोल्डन आवर में मददगार को मिलेंगे 25 हजार रुपये
इस योजना के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति सड़क दुर्घटना में घायल किसी व्यक्ति की 'गोल्डन आवर' यानी घटना के 60 मिनट के भीतर मदद करता है, तो उसे 25 हजार रुपये का नकद इनाम और प्रशस्ति पत्र दिया जाएगा। यह योजना अब झारखंड समेत देश के कई राज्यों में लागू की जा रही है।
साल के अंत में चुने जाएंगे 10 सर्वश्रेष्ठ 'राह-वीर'
'राह-वीर' बनने वालों को केवल तात्कालिक इनाम ही नहीं मिलेगा, बल्कि पूरे साल के दौरान उत्कृष्ट कार्य करने वाले 10 'राह-वीरों' को राष्ट्रीय स्तर पर चुना जाएगा और प्रत्येक को 1-1 लाख रुपये का विशेष पुरस्कार दिया जाएगा। इस संबंध में केंद्रीय सड़क परिवहन और जलवायु मंत्रालय ने झारखंड समेत अन्य राज्यों को निर्देश भेजे हैं।
किसे माना जाएगा 'राह-वीर'?
जिस व्यक्ति द्वारा दुर्घटना की जानकारी सबसे पहले पुलिस को दी जाएगी और जिसने घायल की जान बचाने में सक्रिय भूमिका निभाई होगी, उसे 'राह-वीर' का दर्जा दिया जाएगा। पुलिस, डॉक्टर की पुष्टि के बाद उस व्यक्ति को एक आधिकारिक पत्र देगी, जिसमें उसका नाम, मोबाइल नंबर, पता, घटना की तारीख, स्थान, समय और उसकी मदद की जानकारी दर्ज होगी। इसके बाद यह जानकारी जिलास्तरीय मूल्यांकन समिति के पास भेजी जाएगी।
पहले से चल रही 'गुड सेमेरिटन' योजना से अलग
गौरतलब है कि इससे पहले केंद्र सरकार ने 'गुड सेमेरिटन पॉलिसी' लागू की थी, जिसके तहत घायलों की मदद करने वालों को 5 हजार रुपये दिए जाते थे। हालांकि, इसका असर सीमित रहा। इसी कारण अब 'राह-वीर' योजना को अधिक प्रभावी तरीके से लागू किया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य आम नागरिकों को सड़क हादसों में घायलों की सहायता के लिए प्रेरित करना है।
यह योजना 31 मार्च 2026 तक लागू रहेगी और इसके माध्यम से केंद्र सरकार चाहती है कि आमजन अपनी सामाजिक जिम्मेदारी निभाएं और दूसरों की जान बचाने में आगे आएं।