RIMS Land Encroachment: रिम्स की 9.65 एकड़ जमीन पर अवैध कब्जा, हाईकोर्ट सख्त-72 घंटे में अतिक्रमण हटाने का आदेश
Jharkhand News: रांची स्थित राज्य के सबसे बड़े चिकित्सा संस्थान रिम्स (RIMS) की जमीन पर बड़े पैमाने पर अवैध कब्जे का खुलासा हुआ है। झारखंड राज्य विधिक सेवा प्राधिकार (झालसा) ने निरीक्षण के बाद हाईकोर्ट में सौंपी अपनी रिपोर्ट में बताया है कि कुल 9.65 एकड़ जमीन पर अवैध निर्माण और अतिक्रमण हो चुका है। इनमें मोरहाबादी मौजा की 8 एकड़ और कोकर मौजा की 1.65 एकड़ जमीन शामिल है।
रिपोर्ट के अनुसार, रिम्स की जमीन पर मंदिर, बहुमंजिली इमारतें, बाजार, ठेले–वेंडर, कच्चे-पक्के मकान और अवैध सड़क तक बना दी गई है। रिम्स जैसा महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान गंभीर अतिक्रमण की चपेट में है।
हाईकोर्ट ने कहा—सिस्टम फेल, अब सख्त कार्रवाई जरूरी
चीफ जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस राजेश शंकर की खंडपीठ ने इस मामले को बेहद गंभीर बताते हुए स्पष्ट टिप्पणी की कि “सिस्टम पूरी तरह विफल है।”
कोर्ट ने बुधवार को—
• 72 घंटे के भीतर सभी अवैध कब्जे हटाने का आदेश दिया
• एसएसपी को पर्याप्त पुलिस बल देने का निर्देश
• और चेतावनी दी कि कार्रवाई में बाधा डालने वालों पर अवमानना की कार्रवाई होगी
हाईकोर्ट ने कहा कि रिम्स की जमीन पर किसी भी निजी व्यक्ति या संस्था का दावा पूरी तरह गैरकानूनी है और इस पर अब किसी तरह की रियायत नहीं दी जाएगी।
जमीन पर क्या-क्या बना दिया गया? झालसा की रिपोर्ट में चौंकाने वाले तथ्य
जांच रिपोर्ट में रिम्स की जमीन पर व्यापक अतिक्रमण की स्थिति का विस्तार से वर्णन किया गया है:
पुरानी इमरजेंसी गेट के पास
• एक मंदिर
• 10–20 दुकानें
• बड़ी संख्या में ठेला–वेंडर
डीआईजी मैदान क्षेत्र में
• बुद्ध पार्क
• 3–4 बहुमंजिली इमारतें
• 150 से अधिक कच्चे–पक्के मकान
• अवैध कृषि गतिविधियाँ
• स्थानीय लोगों द्वारा बनाई गई अवैध सड़क
उत्तरी परिसर में
• तीन मंदिर
• कई अस्थायी संरचनाएं
• डॉक्टरों के क्वार्टरों पर कब्जा
• गर्ल्स हॉस्टल के पास 20–30 झोपड़ियां और दुकानें
• टूटी हुई बाउंड्री, कई जगह लोगों द्वारा तोड़कर रास्ता बनाया गया
यह संपूर्ण क्षेत्र सुरक्षा जोखिम में बदल गया है और संस्थान का मूल ढांचा प्रभावित हो रहा है।
रिम्स प्रबंधन पर भी गंभीर सवाल
झालसा ने अपनी रिपोर्ट में यह भी बताया कि—
• रिम्स प्रशासन ने एक भी एफआईआर दर्ज नहीं कराई
• जिला प्रशासन द्वारा नोटिस देने के बाद भी कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया गया
कोर्ट ने इस लापरवाही को बेहद गंभीर माना और कहा कि सरकारी संस्थान की जमीन पर इतने बड़े स्तर के अतिक्रमण के बावजूद प्रशासनिक निष्क्रियता चिंताजनक है।
अगले 72 घंटे महत्वपूर्ण
हाईकोर्ट के निर्देश के बाद अब जिला प्रशासन, नगर निगम और पुलिस की संयुक्त टीम को निर्णायक कार्रवाई करनी होगी। अदालत ने संकेत दिया है कि इस बार किसी तरह की ढिलाई या समझौता स्वीकार नहीं किया जाएगा।