झारखंड में FDR तकनीक से होगा सड़कों का निर्माण, जनिये क्या होता है यह तकनीक 
 

 

झारखंड में नयी तकनीकी 'एफडीआर' यानि फुल डेप्थ रिक्लेमेशन से सड़कों का निर्माण होगा। सबसे खास बात यह है कि इस तकनीक में लागत कम होता है और टिकाऊ ज्यादा होता है। झारखंड में ग्रामीण इलाकों को आधुनिक रोड कनेक्ट‍िविटी से लैस करने के लिए एफडीआर (पूर्ण गहराई का प्रतिबिंब) तकनीक से सड़कें बनाई जाएंगी। झारखंड में सड़क निर्माण का कार्य लगातर हो रहा है। इसी को लेकर सरकार ने कनेक्टिविटि सुविधा में सुधार लाने के लिए इस तकनीकी को अपनाने का फैसला किया है। बता दें, झारखंड में इस वित्तीय साल में 3200 किमी ग्रामीण सड़क निर्माण का लक्ष्य रखा है और ग्रामीण कार्य विभाग ने सभी ग्रामीण इलाकों के सड़कों को इस तकनीक से बनाने की स्वीकृति भी दी है. बात करें लागत की तो इंजीनियर के मुताबिक, ऐसे में साढ़े 5 मीटर चौड़ी रोड़ में एक किमी लंबी सड़क बनाने में एक करोड़ 30 लाख रू. का लागत आता है और इस तकनीक से सड़क के निर्माण में सिर्फ 98 लाख के आसपास का खर्च आएगा।

क्या है एफडीआर तकनीक

एफडीआर तकनीक सड़क निर्माण में प्रयोग की जाने वाली एफआरडी टेक्नोलोजी पूरी तरह से वेस्ट मैनेजमेंट सिस्टम से प्रभावित है. इसके निर्माण में तारकोल यानी डामर का प्रयोग नहीं होता है. पुरानी सड़क की गिट्टी समेत अन्य चीजों का इस्तेमाल दोबारा सड़क बनाने में किया जाता है. ऐसे में ट्रांसपोर्टेशन पर खर्च नहीं होता है. इस तकनीक से पुरानी जर्जर सड़कों को भी नया बनाया जा सकता है. इसमें लागत भी कम लगता है. वहीं, यह तकनीक इको फ्रेंडली होने से काफी कारीगार है. 

सबसे पहले उत्तर प्रदेश में किया गया था प्रयोग

बता दें, प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अतंर्गत यह तकनीक को सबसे पहले उत्तर प्रदेश में प्रयोग किया गया था। वहां के ग्रामीण इलाकों को आधुनिक सड़क कनेक्ट‍िविटी से लैस करने के लिए एफडीआर तकनीक से ही सड़कें बनाई जाती हैं। जिससे कि गांवों को मजबूत और टिकाऊ सड़कों से जोड़ने के जाल से लैस करने के लिए पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल किया गया था। 

पर्यावरण के लिए होगा अच्छा

इस तरह चिप्स और पत्थर के लिए पहाड़ नहीं तोड़ेने पड़ेंगे। ऐसे में पर्यावरण के लिए यह अच्छा होगा। इस तकनीक पर झारखंड स्टेट रूरल रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी आगे बढ़ रहा है। हाल ही में सारे इंजीनियरों और ठेकेदारों को इसकी ट्रेनिंग दी गयी है। अब जाकर इसे लागू करने के लिए सारे प्रमंडलों को आवश्यक निर्देश दिये गये हैं। वहीं भारत सरकार ने भी इसके अनुपालन पर विशेष जोर देने को कहा है। राज्य के इंजीनियरों को बताया गया है कि इस सिस्टम से सड़कों के निर्माण का प्रदर्शन बेहतर रहा है. सड़कें मजबूत और टिकाऊ बन रही है।