थैलेसिमिया पीड़ित बच्चों में HIV संक्रमण के बाद सख्त हुई सरकार, अब धनबाद से जांच के बाद मरीजों को मिल रहा BLOOD

Jharkhand Desk: चाईबासा में थैलेसिमिया से पीड़ित बच्चों में एचआईवी संक्रमण के मामले सामने आने के बाद झारखंड सरकार ने राज्यभर में रक्त जांच व्यवस्था को और सख्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं.
 

Jharkhand Desk: चाईबासा में थैलेसिमिया से पीड़ित बच्चों में एचआईवी संक्रमण के मामले सामने आने के बाद झारखंड सरकार ने राज्यभर में रक्त जांच व्यवस्था को और सख्त करने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. इस गंभीर लापरवाही के बाद स्वास्थ्य विभाग ने सभी ब्लड बैंकों को निर्देश दिया है कि अब बिना ELISA (एंजाइम लिंक्ड इम्यूनोसॉर्बेंट एसे) मशीन के खून न लिया जाए.

पश्चिमी सिंहभूम जिले के चाईबासा सदर अस्पताल में थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को संक्रमित ब्लड चढ़ाने का मामला सुर्खियों में बना हुआ है. इधर, मामला सामने आने के बाद राज्य सरकार ने कई दोषियों पर कार्रवाई भी की है. इस घटना के बाद झारखंड के सभी ब्लड बैंकों पर सरकार की पैनी नजर है. इसी कड़ी में गिरिडीह में भी ब्लड देने से पहले बरती जा रही सावधानी को और भी व्यापक कर दिया है.

वर्तमान में यहां पर ब्लड देने से पहले एचआईवी की जांच धनबाद से कराई जा रही है. धनबाद से रिपोर्ट मिलने के बाद ही मरीजों को ब्लड मुहैया कराया जा रहा है. ईटीवी भारत ने पहले और मौजूदा व्यवस्था की जानकारी, ब्लड बैंक के पदाधिकारियों और चिकित्सा विभाग से ली. गिरिडीह ब्लड बैंक के सचिव अरविंद कुमार बताते हैं कि जिले का ब्लड बैंक निबंधित है और यहां ब्लड लेने से देने तक पूरी सावधानी बरती जाती है. चूंकि थैलेसीमिया, हीमोफिलिया, सिकलसेल, एनीमिया पीड़ित 270 बच्चे जिले में हैं. इसके अलावा बिहार के जमुई के अलावा पड़ोसी जिला जामताड़ा तथा देवघर से इस तरह के मरीज आते हैं, जिन्हें ब्लड उपलब्ध कराया जाता है.

बिना रिप्लेसमेंट के ब्लड की करते हैं आपूर्ति

ऐसे में हर महीने पांच से छह सौ लोगों को ब्लड की जरूरत पड़ती है, वह भी बगैर रिप्लेसमेंट के, जबकि डायलिसिस के वैसे मरीज जिनका कोई भी नहीं है, उन्हें भी ब्लड मुहैया कराया जाता है. ऐसे में ब्लड देने से पहले एचआईवी, हेपेटाइटिस बी-सी, मलेरिया, वीडीआरएल की जांच होने के बाद ही, किसी को रक्त दिया जाता है. यहां पहले से ही एचआईवी की जांच रैपिड टेस्ट किट से होती थी लेकिन रांची से नये आदेश आने के बाद अब जांच 'इलाइजर वॉशर एंड रीडर मशीन' से ही होगी. चूंकि मशीन गिरिडीह में उपलब्ध नहीं है, ऐसे में जांच के सैंपल धनबाद भेजे जाते हैं और जांच रिपोर्ट आने के बाद ही ब्लड दिया जा रहा है.

ब्लड बैंक के चिकित्सक डॉ. सोहैल सिंह कहते हैं कि यहां हमेशा से ही सावधानी बरती जाती रही है. अभी नई व्यवस्था लागू हुई है. उसके तहत ब्लड देने से पहले एचआईवी की जांच धनबाद से कराई जा रही है. इस व्यवस्था को गिरिडीह से ही करवाने के लिए संबंधित मशीन मंगवाने का प्रयास किया जा रहा है.

ड्रग इंस्पेक्टर ने की जांच

दूसरी तरफ बल्ड बैंक की व्यवस्था कैसी है? और किन किन मशीनों का उपयोग किया जा रहा है, क्या कमी है इसकी जांच भी की गई. मुख्यालय के अलावा जिलाधिकारी के निर्देश पर ड्रग इंस्पेक्टर अरुप शाह ब्लड बैंक पहुंचे और उन्होंने पूरी व्यवस्था को देखा.