गिरिडीह के सेंट्रल लाइब्रेरी में आज भी सुरक्षित है संविधान की मूल प्रति, देखने के लिये लेनी पड़ती है विशेष अनुमति
देशभर में संविधान दिवस की धूम है। संविधान, उसके महत्व और इसके निर्माताओं पर हर ओर चर्चा हो रही है। लेकिन गिरिडीह जिले की सेंट्रल लाइब्रेरी के लिए यह दिन बेहद खास है। खास इसलिए, क्योंकि बिहार और झारखंड में केवल इसी लाइब्रेरी में संविधान की मूल हस्तलिखित प्रति देखी जा सकती है। इस प्रति में किसी भी प्रकार का संशोधन नहीं किया गया है। जैसा संविधान सभा में पारित हुआ था, वैसा ही स्वरूप यहां सुरक्षित है।
संविधान: गिरिडीह की पहचान
गिरिडीह के व्यस्त बाजार के बीच स्थित सेंट्रल लाइब्रेरी में यह हस्तलिखित संविधान इस लाइब्रेरी की शान है। इसे विशेष सुरक्षा के तहत रखा गया है और हमेशा ताले में बंद रखा जाता है ताकि कोई छेड़छाड़ न कर सके। इस अद्भुत दस्तावेज़ को हाथों से लिखकर चित्रकारी से सजाया गया है। इसमें भगवान राम और गौतम बुद्ध की छवियां उकेरी गई हैं। संविधान में प्रस्तावना, मौलिक अधिकार और नीति निदेशक तत्व जैसे सभी महत्वपूर्ण भागों को खूबसूरती से लिखा गया है।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का पहला हस्ताक्षर
संविधान सभा के सभी सदस्यों के हस्ताक्षर इस प्रति में मौजूद हैं। डॉ. राजेंद्र प्रसाद, जो संविधान सभा के अध्यक्ष थे, ने सबसे पहले हस्ताक्षर किए। उन्होंने हिंदी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में हस्ताक्षर किए हैं। उनके बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू ने हस्ताक्षर किए। यह हस्ताक्षर न केवल हिंदी और अंग्रेजी में हैं बल्कि भारत के अलग-अलग राज्यों से आए प्रतिनिधियों ने अपनी-अपनी भाषाओं में भी हस्ताक्षर किए हैं।
जयपाल सिंह मुंडा का योगदान
झारखंड के महान नेता जयपाल सिंह मुंडा ने संविधान निर्माण में अहम भूमिका निभाई। उन्होंने आदिवासियों के अधिकारों के लिए संविधान सभा में कई महत्वपूर्ण प्रस्ताव रखे। पंडित नेहरू द्वारा प्रस्तुत उद्देशिका का समर्थन करते हुए उनका दिया भाषण आज भी संविधान सभा के इतिहास का एक खास हिस्सा है।