झारखंड से कुपोषण खत्म करने की जरूरत, मगर कैसे? राज्य में 34 हजार से अधिक बच्चे हैं कुपोषित...
Jharkhand Desk: झारखंड देश के उन राज्यों में से एक है जहां कुपोषण एक बड़ी स्वास्थ्य समस्या आज भी बनी हुई है. NFHS-5 के अनुसार झारखंड के बच्चों में कुपोषण की स्थिति काफी चिंताजनक बनी हुई है. पांच वर्ष से कम उम्र के लगभग 39.6 प्रतिशत बच्चे स्टंटेड यानी बौनेपन के शिकार हैं. जबकि 22 प्रतिशत बच्चे उम्र के हिसाब से कम वजन वाले(वेस्टेड)हैं. राज्य के पांच वर्ष की उम्र वाले 9.1 प्रतिशत बच्चे गंभीर रूप से कम वजन वाले हैं. वहीं 6-59 महीने के 67.5 प्रतिशत बच्चे एनीमिया यानी खून की कमी से पीड़ित हैं.
ये आंकड़े बताते हैं सुधार के बावजूद, कुपोषण, खासकर एनीमिया, बौनेपन और कम वजन एक बड़ी सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या अभी भी बनी हुई है. बावजूद इसके राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में 6 माह से 5 साल तक के बच्चों को कई महीनों से पोषाहार के रूप में टेक होम राशन (THR) नहीं मिल रहा है. सबसे खराब स्थिति तो उन सैम (SAM) बच्चों की है, जिन्हें हर महीने दो पैकेट अतिरिक्त पोषाहार देने का प्रावधान है. राज्य की महिला एवं बाल विकास निदेशालय की निदेशक किरण पासी भी मानती हैं कि राज्य के 24 में से 17 जिले ऐसे हैं, जहां कुपोषण की स्थिति बेहद गंभीर है.
जिलावार अति गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या
| क्रम संख्या | जिला | गंभीर रूप से कुपोषित बच्चों की संख्या |
| 1. | बोकारो | 1612 |
| 2. | चतरा | 1563 |
| 3. | देवघर | 810 |
| 4. | धनबाद | 2753 |
| 5. | दुमका | 2340 |
| 6. | पूर्वी सिंहभूम | 1483 |
| 7. | गढ़वा | 2720 |
| 8. | गिरिडीह | 2373 |
| 9. | गोड्डा | 1912 |
| 10. | गुमला | 680 |
| 11 | हजारीबाग | 1193 |
| 12. | जामताड़ा | 1319 |
| 13. | खूंटी | 832 |
| 14. | कोडरमा | 670 |
| 15. | लातेहार | 1080 |
| 16. | लोहरदगा | 790 |
| 17. | पाकुड़ | 735 |
| 18. | पलामू | 2473 |
| 19. | रामगढ़ | 1204 |
| 20. | रांची | 1895 |
| 21. | साहिबगंज | 1907 |
| 22. | सरायकेला | 324 |
| 23 | सिमडेगा | 458 |
| 24. | पश्चिमी सिंहभूम | 1572 |
| कुल | 34698 |
रांची के कांके स्थित आंगनबाड़ी केंद्रों की सेविका सुशीला और सुंदरमणि कहती हैं कि चार महीने से पोषाहार नहीं मिल रहा है. बच्चों को खिचड़ी खिलाते हैं. सेविकाएं बताती हैं कि बच्चों को हलुआ और अंडा भी देती हैं. लेकिन महंगाई की वजह से हर दिन अंडा नहीं दे पाती हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि सही से मानदेय भी नहीं मिल रहा है.
राज्य के महिला एवं बाल विकास निदेशक से आंगनबाड़ी में पोषाहार नहीं मिलने को लेकर सवाल किया. इस दौरान महिला एवं बाल विकास निदेशक किरण पासी ने कहा कि कुपोषण सिर्फ पोषाहार से खत्म नहीं होता है. इसके दूसरे आयाम भी हैं. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आंगनबाड़ी में सभी तरह के बच्चों के लिए योजना चल रही है. हालांकि उन्होंने पोषाहार मिलने को लेकर स्पष्ट जवाब नहीं दिया.
महिला एवं बाल विकास निदेशक किरण पासी ने बताया कि आंगनबाड़ी केंद्र में बच्चों को हर दिन अंडे देने का प्रावधान है. उन्होंने अंडे की कीमत बढ़ने को लेकर कहा कि यह सही है अंडे की कीमत बढ़ने से दिक्कतें हो रही हैं. लेकिन अंडे की दर पुनर्निर्धारित करने के लिए फाइल बढ़ाई गई है.
रिपोर्ट के अनुसार 5 साल से कम उम्र के 22.4 प्रतिशत बच्चे ऊंचाई के हिसाब से कम वजन वाले हैं. इन 22.4 प्रतिशत में 9.1 प्रतिशत गंभीर रूप से वेस्टेड हैं यानी कम वजन वाले हैं. इसी तरह 6-59 महीने के 67.5 प्रतिशत बच्चे एनीमिया से ग्रस्त हैं. जबकि एक वर्ष से कम उम्र के 39 प्रतिशत बच्चे उम्र के हिसाब से कम वजन के हैं और 9-10 प्रतिशत बच्चे जन्म से ही कम वजन के पैदा हो रहे हैं.