क्या है यह ‘जंगी ऐप’? जिसके जरिए जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा गिरोह को ऑपरेट कर रहा था
Jharkhand Desk: अपराध किस किस तरह से फैल रहे हैं...किसका संबंध किससे है...यह कह पाना बेहद मुश्किल है. अपराधियों का गैंग कहां तक फैला है यह सोच पाना मेरे और आपके दिमाग से बहुत परे है. झारखंड पुलिस की जांच में यह बड़ा खुलासा हुआ है कि जेल में बंद कुख्यात गैंगस्टर सुजीत सिन्हा ‘जंगी ऐप’ नाम के मोबाइल एप के जरिए अपने गिरोह को ऑपरेट कर रहा था. यह ऐप अपराधियों के बीच सुरक्षित बातचीत का नया जरिया बन गया था. पुलिस अब इस ऐप की तकनीकी जांच कर रही है ताकि पता लगाया जा सके कि इसके जरिए किन-किन से संपर्क किया जा रहा था.
पुलिस सूत्रों के अनुसार, सुजीत सिन्हा जेल में रहते हुए भी अपने गिरोह के सक्रिय सदस्यों से लगातार जुड़ा हुआ था. वह ‘जंगी ऐप’ के जरिये क्राइम की पूरी प्लानिंग तैयार करता था. ऐप पर बातचीत एन्क्रिप्टेड होती थी, जिससे पुलिस को संदेशों का पता लगाना मुश्किल होता था. इसी ऐप के जरिए सुजीत की पत्नी रिया सिन्हा और गिरोह के अन्य सदस्य योजनाएं साझा करते थे.
जंगी ऐप बना पुलिस के लिए नई चुनौती
सिटी एसपी पारस राणा के मुताबिक, इस ऐप का इस्तेमाल कर अपराधी पुलिस की निगरानी से बचने में सफल हो रहे थे. ऐप में खुद-ब-खुद मैसेज डिलीट होने और कॉल ट्रेस न होने जैसी सुविधाएं हैं. अब साइबर सेल ने ऐप के सर्वर और डेटा की जांच शुरू की है ताकि इसके नेटवर्क की पूरी कड़ी पाकिस्तान और दुबई तक जोड़ी जा सके.
पाकिस्तान कनेक्शन भी आया सामने
पुलिस की जांच में सामने आया है कि जंगी ऐप के जरिए न केवल स्थानीय अपराधी जुड़े थे बल्कि पाकिस्तान के हथियार तस्करों से भी संपर्क बनाए गए थे. गिरोह के सदस्य इस ऐप पर हथियारों की डिलीवरी और पैसों के लेनदेन की प्लानिंग करते थे. यही वजह है कि पुलिस ने मामला UAPA (टेरर फंडिंग) के तहत दर्ज किया है.
रिया सिन्हा और अन्य की गिरफ्तारी के बाद खुला राज
13 अक्टूबर को रांची पुलिस ने रिया सिन्हा, बबलू खान, मो. शाहीद, मो. सेराज और रवि आनंद को गिरफ्तार किया था. इनसे पूछताछ में पता चला कि सुजीत जेल में रहते हुए भी इसी ऐप के जरिए गिरोह को निर्देश देता था. गिरफ्तार आरोपियों से पुलिस ने तीन पिस्टल, सात मैगजीन, 13 जिंदा कारतूस और कई मोबाइल जब्त किए हैं.
साइबर एक्सपर्ट्स की मदद से जांच तेज
पुलिस ने अब साइबर एक्सपर्ट्स की एक विशेष टीम गठित की है जो जंगी ऐप के डाटा ट्रेल को ट्रैक कर रही है. अधिकारियों का मानना है कि अगर ऐप का सर्वर लोकेशन और यूजर आईडी मिल जाए, तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चल रहे इस नेटवर्क की कई परतें खुल सकती हैं.