बांग्लादेशी घुसपैठ और आदिवासियों के हक की आवाज उठाता रहूंगाः चंपाई सोरेन
झारखंड के सरायकेला विधानसभा क्षेत्र से सातवीं बार विजयी होकर इतिहास रचने वाले पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन ने क्षेत्र की जनता के प्रति आभार व्यक्त किया। रविवार को अपने आवास पर मीडिया से बातचीत करते हुए उन्होंने भावनात्मक अंदाज में कहा, "आज मैं अकेला हूं, लेकिन कल सौ बनाऊंगा।"
चंपाई सोरेन ने कहा कि झारखंड की जनता ने भाजपा को विपक्ष में भेजने का फैसला सुनाया है और यह जनादेश पूरी तरह से सम्माननीय है। हालांकि, उन्होंने अपने बेटे बाबूलाल सोरेन और सोनाराम बोदरा की हार पर निराशा भी जताई।
JLKM की वजह से भाजपा को हुआ नुकसान
चंपाई सोरेन ने अपने संबोधन में जयराम महतो की पार्टी JLKM के प्रभाव को स्वीकार करते हुए कहा कि इस पार्टी के कारण भाजपा के 22 प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। यह स्वीकारोक्ति भाजपा के कमजोर प्रदर्शन की बड़ी वजह को उजागर करती है।
बांग्लादेशी घुसपैठ: सामाजिक मुद्दा, नहीं राजनीतिक
सोरेन ने बांग्लादेशी घुसपैठ को एक गंभीर सामाजिक समस्या बताते हुए कहा कि यह केवल संथाल परगना तक सीमित नहीं है। घुसपैठिये धीरे-धीरे पूरे राज्य में आदिवासियों और मूलवासियों की जमीन और पहचान को खतरे में डाल रहे हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि जनता ने शायद इस मुद्दे की गंभीरता को चुनाव के दौरान समझा नहीं, लेकिन वे अगले पांच साल तक इसे अपनी प्राथमिकता बनाए रखेंगे।
जनवरी से शुरू होगा बड़ा आंदोलन
चंपाई सोरेन ने घोषणा की कि जनवरी के बाद संथाल क्षेत्र में बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ व्यापक आंदोलन छेड़ा जाएगा। उन्होंने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा, "जब तक इन घुसपैठियों को राज्य से पूरी तरह हटाया नहीं जाता, तब तक चैन से नहीं बैठेंगे।" यह आंदोलन राज्य की जमीन और आदिवासी अस्मिता की रक्षा के लिए होगा।