मेहनत और त्याग से बेटे को पढ़ाया-लिखाया...आज बेटा बना BSF में इंस्पेक्टर, इंटर में था 2nd डिवीजन

Jharkhand Desk: उनकी यह मेहनत आखिर रंग लाई. साल 2024 में हुए एसएससी सीपीओ परीक्षा में उन्होंने शानदार सफलता हासिल की और अब वे बीएसएफ में सब-इंस्पेक्टर के पद पर चयनित हो चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने न केवल बीएसएफ बल्कि रेलवे, बैंक और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की प्री-परीक्षा भी सफलतापूर्वक पास की थी.
 

Jharkhand Desk: जुनून को जिद है,अपने आत्मबल को उस हद तक मजबूत करने की ,जहां आपके लक्ष्य को पूरा होने से कोई नहीं रोक सकता. अपने काम को बस अंतिम पड़ाव तक पहुंचाना ही जुनून है और ये जुनून ही सफलता की पूरी कहानी को गढ़ता है. जमशेदपुर के पटमदा प्रखंड के चूरदा गांव के 25 वर्षीय अशोक गोराई ने. एक साधारण किसान परिवार से ताल्लुक रखने वाले अशोक ने अपने जज़्बे, मेहनत और हौसले के बल पर वो मुकाम हासिल किया है, जिसका सपना न जाने कितने युवा देखते हैं. उन्होंने बीएसएफ (सीमा सुरक्षा बल) में सब-इंस्पेक्टर के पद पर चयनित होकर अपने गांव और परिवार का नाम रोशन किया है.

अशोक के पिता मधुसूदन गोराई और माता ममता गोराई दोनों ही किसान हैं. सीमित साधनों के बावजूद उन्होंने अपने बेटे की शिक्षा में कभी कमी नहीं आने दी. खेती-बाड़ी से होने वाली आमदनी भले ही बहुत ज्यादा न रही हो, लेकिन अशोक के माता-पिता ने मेहनत और त्याग से बेटे को पढ़ाया-लिखाया. अशोक बताते हैं कि उनके पिता खेत में जिस तरह दिन-रात मेहनत करते थे, उसी जज़्बे ने उन्हें देश की सेवा करने की प्रेरणा दी.

इंटर में 2nd डिवीजन
अशोक की शुरुआती पढ़ाई गायत्री शिक्षा निकेतन से हुई, जहां उन्होंने दसवीं में 9.2 सीजीपीए हासिल किया. बारहवीं की परीक्षा उन्होंने काशीडीह हाई स्कूल से पास की और 57 प्रतिशत अंक प्राप्त किए. इसके बाद उन्होंने करीम सिटी कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा किया, जिसमें 68 प्रतिशत अंक मिले. पढ़ाई के दौरान ही उनके मन में वर्दी पहनने का सपना आकार लेने लगा. उन्होंने ठान लिया कि चाहे कितनी भी मुश्किलें आएं, वे वर्दी जरूर पहनेंगे. कोविड-19 लॉकडाउन के दौरान जब खेती-किसानी की हालत खराब हो गई थी, तब अशोक ने फैसला किया कि उन्हें अपने परिवार की स्थिति सुधारने के लिए पढ़ाई और मेहनत के दम पर कुछ बड़ा करना ही होगा. साल 2022 में वे रांची पहुंचे, जहां उन्होंने आरसी फिजिकल अकादमी में प्रवेश लिया यह एक ऐसी संस्था है जो युवाओं को निःशुल्क फोर्स की तैयारी करवाती है.

रांची में उनका रूटीन अनुशासन और संघर्ष से भरा रहा. सुबह 4:30 बजे से 8:00 बजे तक वे शारीरिक तैयारी करते, उसके बाद पूरे दिन सुबह 9 बजे से लेकर रात 9 बजे तक लाइब्रेरी में पढ़ाई करते थे. उन्होंने दो साल तक कोई त्योहार नहीं मनाया, न घर गए, न किसी से मिलने का वक्त निकाला. हर रात सिर्फ 10 मिनट अपने माता-पिता से बात करना ही उनकी सबसे बड़ी राहत होती थी.

उनकी यह मेहनत आखिर रंग लाई. साल 2024 में हुए एसएससी सीपीओ परीक्षा में उन्होंने शानदार सफलता हासिल की और अब वे बीएसएफ में सब-इंस्पेक्टर के पद पर चयनित हो चुके हैं. दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने न केवल बीएसएफ बल्कि रेलवे, बैंक और अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की प्री-परीक्षा भी सफलतापूर्वक पास की थी.

अशोक कहते हैं कि मेरे पिता खेत में सैनिक की तरह मेहनत करते हैं, तो मैंने तय किया कि मैं देश की सीमा पर सिपाही बनूंगा. अब मेरा सपना पूरा हो गया है.

पटमदा जैसे ग्रामीण क्षेत्र से निकले अशोक गोराई आज न सिर्फ अपने परिवार बल्कि पूरे क्षेत्र के युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं. उन्होंने साबित किया कि हालात चाहे जैसे भी हों, अगर मन में जुनून और लक्ष्य के प्रति समर्पण हो, तो कोई भी सपना अधूरा नहीं रहता.