इस लड़की के हौसले की दाद देंगे आप, जानिए 22 साल की इस लड़की की प्रेरणा भरी कहानी

जिनके सर मां और बाप दोनों का साया होता है वो दुनिया का सबसे भाग्यशाली इंसान होता है. आज इस खबर में हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताएंगे जिसे सुनकर आप अपने आपको कभी भी ये नहीं कहेंगे कि आप कुछ कर नहीं सकते. आपकी जिंदगी व्यर्थ है. क्योंकि इस लड़की की कहानी… Read More »इस लड़की के हौसले की दाद देंगे आप, जानिए 22 साल की इस लड़की की प्रेरणा भरी कहानी
 

जिनके सर मां और बाप दोनों का साया होता है वो दुनिया का सबसे भाग्यशाली इंसान होता है. आज इस खबर में हम आपको एक ऐसी लड़की की कहानी बताएंगे जिसे सुनकर आप अपने आपको कभी भी ये नहीं कहेंगे कि आप कुछ कर नहीं सकते. आपकी जिंदगी व्यर्थ है. क्योंकि इस लड़की की कहानी आपको प्रेरणा देगी.

ये कहानी है सोनी नाम की एक लड़की की. जिसकी नौकरी लगने से पांच दिन पहले पिता का साया उसके सिर से उठ गया. सोनी के परिवार में हर कोई पिता की मौत से सहमा था, दुखी था. लेकिन 22 साल की बेटी सोनी ने हिम्मत नहीं हारी. वह परिवार का सहारा बनकर खड़ी हो गई और हरियाणा रोडवेज के हिसार डिपो में अपनी नौकरी ज्वॉइन की. हिसार के गांव राजली की रहने वाली सोनी आज हिसार डिपो में मैकेनिकल हेल्पर के पद पर कार्यरत है. जी हां ये वो काम है जो ज्यादातर पुरुष ही करते है लेकिन यहां सोनी हरियाणा रोडवेज के हिसार डिपो में मैकानिकल हेल्पर है.

सोनी आठ बहन-भाइयों में तीसरे नंबर पर है और सोनी का परिवार सोनी की सैलरी से ही चलती है. हिसार डिपो में सोनी रोजाना बसों की मरम्मत करती हैं. सोनी के काम को देखकर हर कोई हैरान रहा जाता है. इतना ही नहीं, सोनी मार्शल आर्ट के पेंचक सिलाट गेम की भी बेहतरीन खिलाड़ी रह चुकी हैं. सोनी के पिता नरसी का 27 जनवरी 2019 को बीमारी के चलते निधन हो गया था. सोनी की मां मीना देवी एक गृहिणी हैं. गौरतलब है कि सोनी ने हिसार डिपो में मैकेनिकल हेल्पर के पद पर 31 जनवरी 2019 को ज्वाइन किया था.

सोनी मार्शल आर्ट के पेंचक सिलाट गेम की राष्ट्रीय प्रतियोगिता में लगातार तीन बार स्वर्ण पदक जीत चुकी हैं. सोनी को खेल कोटे के तहत हिसार डिपो में मैकेनिकल हेल्पर के पद पर नौकरी मिल गई थी. पेंचक सिलाट मार्शल आर्ट की सबसे सुरक्षित फॉर्म है, क्योंकि इसमें प्रतिभागियों को अपने प्रतिद्वंद्वियों के चेहरे पर हिट करने की अनुमति नहीं होती है.


पिता का सपना था कि बेटी खिलाड़ी बनकर देश की झोली में पदक डालेे. पिता के कहने पर ही सोनी ने वर्ष 2016 में खेलना शुरू किया थाा. तीन बार लगातार स्वर्ण पदक भी जीते. उसकी खेल कोटे के तहत ग्रुप डी में नौकरी लगी.


सोनी ने शुरू में अपने गांव राजली में कबड्डी खेलना शुरू किया था लेकिन कबड्डी की पूरी टीम नहीं बन पाई. एक दिन उनकी गांव में सहेली सोनिया से मुलाकात हुई. इस दौरान सोनिया ने सोनी को पेंचक सिलाट गेम ज्वाइन करने की बात कही. कुछ दिन बाद तो सोनी ने खेल में अपना कदम रख दिया और पदक लाने शुरू कर दिए.