खरमास के बाद झारखंड में सियासी ‘ऑपरेशन फेरबदल’ की आहट!
दिल्ली में गुप्त बैठकों ने बढ़ाई हलचल, सहयोगी नाराज़ – बदल सकता है सत्ता का पूरा समीकरण
Patna Desk: झारखंड की राजनीति एक बार फिर गहरे उथल–पुथल के दौर में प्रवेश करती दिख रही है। दिल्ली के हैदराबाद हाउस में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव विनोद तावड़े से मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन व गांडेय विधायक कल्पना सोरेन की मुलाकात ने राजनीतिक गलियारों में नई सरगर्मी पैदा कर दी है। यह बैठक ऐसे समय में हुई है जब राज्य में राजनीतिक समीकरण बेहद संवेदनशील मोड़ पर खड़े हैं।
खरमास के बाद बड़े बदलाव के संकेत, दिल्ली के सूत्रों की जानकारी
दिल्ली स्थित विश्वसनीय सूत्रों का दावा है कि खरमास खत्म होते ही झारखंड में सत्ता संरचना में बड़ा फेरबदल देखने को मिल सकता है। सूबे की आर्थिक स्थिति लगातार दबाव में है और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन केंद्र से अतिरिक्त फंड की मांग कर रहे हैं, लेकिन अपेक्षित सहयोग न मिलने से उनके नाराज़ होने की खबरें भी सामने आ रही हैं।
हेमंत सोरेन का साफ संदेश—JMM–BJP गठबंधन फिलहाल असंभव
राज्य में चल रही तमाम चर्चाओं के बीच एक चीज लगभग तय मानी जा रही है—हेमंत सोरेन भाजपा के साथ औपचारिक गठबंधन के पक्ष में नहीं हैं।
इसकी वजहें भी राजनीतिक रूप से स्पष्ट हैं—
• JMM का मजबूत मुस्लिम और आदिवासी (ST) वोट बैंक,
• भाजपा के साथ आने पर सामाजिक आधार खिसकने का डर,
• और भाजपा नेताओं के सार्वजनिक बयानों से बढ़ती दूरी।
JMM शीर्ष नेतृत्व नहीं चाहता कि भाजपा उसके मुख्य वोट बैंक में पैठ बनाए, इसलिए सत्ता समीकरण को लेकर पार्टी बेहद सावधानी से कदम बढ़ा रही है।
हेमंत की रणनीति—कांग्रेस और RJD में सेंध?
सूत्रों का दावा है कि हेमंत सोरेन भाजपा से दूरी रखकर कांग्रेस और RJD के विधायकों को साधने की कोशिश कर रहे हैं। यह रणनीति नवीन पटनायक मॉडल की तर्ज पर मानी जा रही है—बिना गठबंधन के, अपने हिसाब से सरकार चलाने का रास्ता।
RJD को लेकर JMM की नाराज़गी भी किसी से छुपी नहीं है। बताया जा रहा है कि बिहार चुनावों के दौरान राजद ने JMM को वह सम्मान नहीं दिया जिसकी उम्मीद थी। इसी नाराज़गी का ‘राजनीतिक हिसाब’ झारखंड में RJD के विधायकों में सेंध लगाकर चुकाया जा सकता है।
कांग्रेस खेमे में बेचैनी, कई विधायक ‘मौके’ की तलाश में
झारखंड कांग्रेस पहले से ही आंतरिक खींचतान से जूझ रही है।
सूत्र बताते हैं—
• कई विधायक लंबे समय से असहज हैं
• कुछ अपने भविष्य को लेकर असमंजस में
• और कुछ मौजूदा राजनीतिक हलचल में नया रास्ता तलाशने में जुटे हैं
हालात ऐसे हैं कि कांग्रेस खेमे में ‘साइलेंट मोहरे’ भी सक्रिय हो चुके हैं।
JMM–BJP गठबंधन पर भाजपा का दो फाड़, शीर्ष नेतृत्व में मतभेद
दिलचस्प यह है कि भाजपा के भीतर भी माहौल एक जैसा नहीं है।
• एक बड़ा समूह मानता है कि JMM के साथ आने से राज्य में विकास कार्य तेज होंगे।
• वहीं दूसरे खेमे का मानना है कि गठबंधन का राजनीतिक जोखिम बड़ा है।
मामला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की दो प्रमुख धाराओं—‘नंबर 1’ और ‘नंबर 2’—के बीच अटका बताया जा रहा है।