अखिलेश यादव को सुप्रीम कोर्ट से मिली राहत, आय से अधिक संपत्ति मामले में सुनवाई से इनकार 

 

सुप्रीम कोर्ट से सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को बड़ी राहत मिली है. कोर्ट ने मुलायम सिंह, अखिलेश यादव और प्रतीक यादव के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति मामले में आगे सुनवाई से इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि CBI ने प्राथमिक जांच के बाद 2013 में मामला बंद कर दिया था. अब इस मामले में कुछ नहीं रह गया है.

आपको बता दें कि साल 2005 में विश्वनाथ चतुर्वेदी नाम के वकील ने यूपी के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह, उनके बेटे अखिलेश यादव, बहु डिंपल यादव  और दूसरे बेटे प्रतीक यादव के ऊपर आय से करोड़ों अधिक संपत्ति अर्जित करने का आरोप लगाते हुए जनहित याचिका दायर की थी. 1 मार्च 2007 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को इस आरोप की प्राथमिक जांच का आदेश दिया. अक्टूबर 2007 में सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि शुरुआती जांच में उसे मुकदमा दर्ज करने लायक सबूत मिले हैं. 

जिसके बाद मार्च 2019 में याचिकाकर्ता ने नया आवेदन दाखिल कर आरोप लगाया कि सीबीआई ने मामले को ठंडे बस्ते में डाल रखा है. लिहाजा कोर्ट सीबीआई से स्टेटस रिपोर्ट मांगे. अप्रैल 2019 में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव को राहत देते हुए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के आरोपों को साबित नहीं किया जा सका.

दिसंबर 2022 में हुई सुनवाई के दौरान यादव परिवार की ओर से कपिल सिब्बल ने मामले की सुनवाई बंद करने की मांग की थी. उन्होंने कहा था कि साल 2019 में सीबीआई हलफनामा दाखिल कर कह चुकी है कि केस की जांच वो बंद कर चुकी है. अब मामले में कुछ नहीं बचा है. हालांकि, तब कोर्ट ने कहा था कि मुलायम सिंह का निधन हो गया है. हालांकि, उनके अलावा अन्य परिजनों के खिलाफ जांच जारी रहेगी, लेकिन अब कोर्ट ने सुनवाई से इनकार कर दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई ने मामला बंद कर दिया, अब इसमें कुछ नहीं बचा. 2007 और 2012 में इस कोर्ट के फैसले के बाद सीबीआई ने 7 अगस्त 2013 को जांच बंद कर दी और 2013 में सीवीसी को रिपोर्ट सौंपी. यह याचिका 6 साल बाद 2019 में दाखिल की गई. इस याचिका में कोई योग्यता नहीं है.