उत्तराखंड विधानसभा ने सामान नागरिक संहिता विधेयक पेश किया, जानें क्या है Uniform Civil Code 

 
इस विधेयक के पारित होते ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।

उत्तराखंड विधानसभा में सामान नागरिक संहिता विधेयक (Uniform Civil Code Bill) पेश कर दिया गया है। फिलहाल इसे एक प्रयोग के तौर पर पेश किया गया है। इस विधेयक के पारित होते ही उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा। इस प्रयोग की सफलता के बाद देश के अन्य भाजपा शासित राज्यों में लागू किया जाएगा। हालांकि विपक्ष इस विधेयक का विरोध तो नहीं कर रहा, लेकिन इस विधेयक पर सवाल ज़रूर उठाये जा रहे हैं। वहीं कुछ मुस्लिम नेता और उनसे जुड़े राजनीतिक दल ज़रूर इस पर कड़ी आपत्ति जता रहे हैं।

समान नागरिक संहिता क्या है और इसका असर किस पर, कैसा पड़ेगा?

ज़्यादातर देशों में दो तरह के क़ानून होते हैं। आपराधिक या क्रिमिनल क़ानून और सिविल क़ानून। क्रिमिनल क़ानून में चोरी, लूट, मार-पीट, डकैती, हत्या जैसे आपराधिक मामलों की सुनवाई की जाती है। इसमें सभी धर्मों या समुदायों के लिए एक ही तरह के कोर्ट, प्रोसेस और सजा का प्रावधान होता है। वहीं सिविल क़ानून कई मायनों में भिन्न है। इसमें शादी, ब्याह और संपत्ति से जुड़े मामले आते हैं। 

भारत में अलग- अलग धर्मों में शादी, परिवार और संपत्ति से जुड़े मामलों में अलग-अलग रीति- रिवाज, संस्कृति और परम्पराओं का ख़ास महत्व है। अलग धर्मों या समुदायों से जुड़े क़ानून भी अलग होते हैं। इन्हें पर्सनल लॉ कहते हैं। जैसे मुस्लिमों में शादी भी और संपत्ति का भी बँटवारा मुस्लिम पर्सनल लॉ के मुताबिक़ होता है। हिंदुओं में शादी हिंदू मैरिज एक्ट के तहत होती है। इसी तरह ईसाई और सिखों के लिए भी अलग पर्सनल लॉ है।

यूनिफॉर्म सिविल कोड के लागू होने से सभी तरह के पर्सनल लॉ ख़त्म हो जाएँगे और सभी धर्मों, समुदायों के लिए समान क़ानून हो जाएगा। इसका मतलब भारत में रहने वाले हर नागरिक के लिए निजी मामलों में भी एक जैसा क़ानून हो जाएगा, चाहे वह किसी भी धर्म या समुदाय का हो।

अभी पर्सनल लॉ के तहत मुस्लिम व्यक्ति चार शादियाँ कर सकता है, लेकिन हिंदू मैरिज एक्ट के तहत पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करना अपराध है। यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड के ज़रिए इन सब मामलों में एक ही क़ानून बन जाएगा जो सभी लोगों पर समान रूप से लागू होगा।

इसके तहत शादी, संपत्ति, तलाक़, उत्तराधिकार और दत्तक ग्रहण या गोद लेने जैसे मामलों में एक ही क़ानून लागू होगा। ऐसा माना जा रहा है कि उत्तराखंड के बाद यह क़ानून मध्यप्रदेश और गुजरात में भी लागू किया जाएगा।