ललन सिंह ने सुशील कुमार मोदी को दिया जवाब, कहा- नीतीश कुमार को ज्ञान देने की जरूरत नहीं
 

 

लगातार विवादों में चल रहे बिहार सरकार में पूर्व मंत्री रहे कार्तिकेय  कुमार ने बीते दिन गन्ना उद्योग मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. अब उनके इस्तीफा देने के बाद बिहार की सियासत गर्म हो गय़ी है. बीजेपी बिहार सरकार पर हमलावर है. वहीं जेडीयू भी बीजेपी पर पलटवार कर रही है. बीजेपी को घेरने के लिए जेडीयू ने अब यूपी सरकार  का सहारा लेते हुए हमला किया है. जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने सुशील कुमार मोदी पर गुरुवार को ट्वीट कर हमला बोला. उन्होंने यूपी कैबिनेट के मंत्री राकेश सचान को निशाने पर लिया और कहावत के जरिए बीजेपी पर निशाना साधा. ललन सिंह ने कहा कि सुशील कुमार मोदी सीएम नीतीश कुमार को चुनौती देने से पहले अपने गिरेबान में झांक लें.

जानकारी के लिए बता दें कार्तिक कुमार के इस्तीफे पर सुशील मोदी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर ट्ववीट कर निशाना साधा. उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा कि नीतीश कुमार पहले ओवर में ही क्लीन बोल्ड हो गए . अभी तो कार्तिक कुमार का पहला विकेट गिरा है.अभी और कई विकेट गिरेंगे.

इसी ट्वीट का जवाब देते हुए जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा- सुशील जी, उत्तर प्रदेश सरकार के कारनामों को देख लें. यूपी के मंत्री राकेश सचान को कितने साल की सजा हुई है? सजायाफ्ता होने के बाद भी मंत्री बने हैं कि नहीं? मंत्री राकेश सचान अदालत से सजा की कॉपी लेकर भाग गए. कुछ बोलने से पहले थोड़ी तो शर्मिंदगी का अहसास कीजिए. नीतीश कुमार को ज्ञान देने की जरूरत नहीं है. एक कहावत है, 'चलनी दूसे सूप को जिसमें खुद बहत्तर छेद'.

सुशील कुमार मोदी को टैग करते हुए ललन सिंह ने आगे लिखा कि नैतिकता का पाठ पढ़ाने से पहले अपनी नैतिकता का भी आकलन कर लें. लखीमपुर खीरी  का जवाब भी जनता आपसे जानना चाहती है. जरा मुंह तो खोलिए, कुछ तो बोलिए..! और जरा यह भी बताइए कि लखीमपुर खीरी की घटना पर सर्वोच्च न्यायालय  ने क्या-क्या टिप्पणियां की थी आपकी उत्तर प्रदेश सरकार पर. आत्ममंथन कीजिए, चिंतन-मनन कीजिए..... तब बोलिए.

आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मिनिस्टर राकेश सचान के खिलाफ अपनी सजा की फाइल लेकर कोर्ट से भागने का आरोप लगा था. कानपुर की एक अदालत ने सचान को एक मामले में दोषी ठहराया था, लेकिन अदालत के सजा सुनाने के पहले ही मंत्री महोदय अपने वकील की मदद से दोषसिद्धि आदेश की मूल प्रति लेकर ही भाग निकले थे.