मंत्री चंद्रशेखर ने कहा- मैं अपने बयान पर कायम, इसको लेकर माफ़ी मांगने की जरूरत नहीं 
 

 

बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने विवादित बयान देते हुए रामचरितमानस को नफरत फैलाने वाला ग्रंथ बताया है। मंत्री चंद्रशेखर ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि रामचरितमानस ग्रंथ समाज में नफरत फैलाने का ग्रंथ है. यह समाज में दलितों, पिछड़ों और महिलाओं को पढ़ाई से रोकता है. उन्हें उनका हक दिलाने से रोकता है. इनके इस बयान के बाद विपक्षी दल बीजेपी समेत तमाम हिंदू संगठनों ने उनसे इस बयान के लिए माफ़ी मांगने को कहा. मगर उन्होंने कहा कि, वे अपने बयान पर कायम हैं और उनका कहना है कि उन्होंने कुछ ऐसा नहीं कहा है जिसके लिए उन्हें मांफी मांगने की जरूरत है. 

आपको बता दें कि मंत्री चंद्रशेखर ने मीडिया से एक बार फिर बात की. उन्होंने कहा कि, रामचरितमानस में 5-6 ऐसे दोहे हैं जो विरोध करने योग्य हैं. उन्होंने कहा कि उन दोहों को लेकर मुझे आपत्ति है, इसलिए उसको लेकर बयान दिया था. इस दौरान उन्होंने हिन्दू धर्म के कई ग्रंथों को लेकर अपने विचार रखे और कहा कि सालों साल से इसको लेकर वैचारिक संघर्ष चल रहा है. इतना ही नहीं उन्होंने आगे कहा कि, रामचरितमानस समाज में नफरत फैलाने वाला ग्रंथ है. यह समाज में पिछड़ों, महिलाओं और दलितों को शिक्षा हासिल करने से रोकता है और उन्हें बराबरी का हक देने से रोकता है. चंद्रशेखर ने कहा मनुस्मृति के बाद रामचरितमानस नफरत के इस दौर को आगे बढ़ाया है.