Bihar politics: "बांग्लादेश में हिंदू असुरक्षित है तो यह शासन की नाकामी है” जीतन राम मांझी का तीखा वार, शराबबंदी पर भी नीतीश सरकार को घेरा 

 

Bihar politics: केंद्रीय मंत्री और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (सेक्युलर) के प्रमुख जीतन राम मांझी ने बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रही हिंसा को लेकर वहां की सरकार पर सीधा सवाल खड़ा किया है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की पहली जिम्मेदारी अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना होती है। यदि किसी समुदाय को असुरक्षा का सामना करना पड़ रहा है, तो यह उस देश के शासन तंत्र की गंभीर विफलता को दर्शाता है।

मांझी ने कहा कि भारत में अल्पसंख्यक समुदाय शांतिपूर्ण माहौल में रह रहे हैं, जो भारतीय लोकतंत्र और सामाजिक सौहार्द की मिसाल है। इसी तरह बांग्लादेश की आम जनता और वहां का प्रशासन भी आगे आकर हिंदू समुदाय की सुरक्षा सुनिश्चित करे। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी प्रकार की साम्प्रदायिक हिंसा को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

भारत ने जताई कड़ी चिंता, अंतरराष्ट्रीय दबाव की अपील

बांग्लादेश में बिगड़ते हालात पर भारत सरकार के रुख की जानकारी देते हुए मांझी ने कहा कि केंद्र सरकार ने इस मुद्दे को गंभीरता से लिया है। भारत ने कूटनीतिक स्तर पर अपनी चिंता दर्ज कराई है और साफ कहा है कि जब किसी समुदाय को चुन-चुनकर निशाना बनाया जाता है, तो यह सिर्फ आंतरिक मामला नहीं रह जाता। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से भी इस विषय पर सक्रिय भूमिका निभाने की अपील की।

शराबबंदी को लेकर नीतीश सरकार पर सवाल

इसी दौरान जीतन राम मांझी ने बिहार की शराबबंदी नीति को लेकर राज्य सरकार को घेरा। उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नीयत को सही बताया, लेकिन कानून के क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल उठाए। मांझी का कहना था कि मौजूदा व्यवस्था में छोटे और गरीब लोगों को ही अधिकतर निशाना बनाया जा रहा है, जबकि बड़े स्तर पर शराब कारोबार से जुड़े लोग कार्रवाई से बचे हुए हैं।

अधिकारियों और माफियाओं पर कार्रवाई की मांग

मांझी ने दावा किया कि शराबबंदी कानून के तहत जेल जाने वालों में 50 प्रतिशत से अधिक लोग गरीब तबके से आते हैं। उन्होंने कहा कि केवल छोटी मात्रा में शराब रखने वालों को पकड़कर आंकड़े पेश करना सफलता नहीं कही जा सकती। असली परीक्षा तब होगी, जब शराब माफियाओं और संरक्षण देने वाले प्रभावशाली लोगों पर सख्त कार्रवाई की जाए।

गुजरात मॉडल अपनाने का सुझाव

शराबबंदी को ज्यादा प्रभावी और व्यावहारिक बनाने के लिए मांझी ने गुजरात मॉडल का हवाला दिया। उन्होंने सुझाव दिया कि बिहार में भी उसी तर्ज पर कानून लागू किया जाए, जिससे आम जनता को अनावश्यक परेशानी न हो और शराबबंदी का मूल उद्देश्य भी पूरा हो सके।

मांझी के इन बयानों से साफ है कि वे एक ओर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानवाधिकार और सुरक्षा के मुद्दे उठा रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राज्य की नीतियों में सुधार की जरूरत पर भी जोर दे रहे हैं।